Mirwaiz Umar Farooq News: मीरवाइज-ए-कश्मीर और हुर्रियत कांफ्रेंस के नेता मौलवी उमर फारूक ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के अकाउंट के बायो से ‘ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन‘ हटा दिया है. अब उनके परोफाइल में केवल नाम और जह का जिक्र है. मीरवाइज उमर फारूक ने बताया कि इसे हटाने के लिए अधिकारियों द्वारा लगातार दबाव बनाया जा रहा था और उन्हें आखिरकार हटाना ही पड़ा.
मीरवाइज उमर फारूक ने क्या कहा?
मीरवाइज उमर फारूक ने सोशल मीडिया के जरिए इसकी जानकारी देते हुए कहा कि कुछ समय से मुझ पर अधिकारियों की ओर से दबाव बनाया जा रहा था कि मैं अपने X (पहले ट्विटर) अकाउंट के नाम में बदलाव करूं, जहां मैं खुद को हुर्रियत चेयरमैन के रूप में दर्शाता हूं. हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से जुड़े सभी संगठन, जिनमें मेरी अध्यक्षता वाला अवामी एक्शन कमेटी भी शामिल है, को UAPA के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया है. ऐसे में हुर्रियत को भी प्रतिबंधित संगठन माना गया है. कहा गया कि अगर मैंने बदलाव नहीं किया तो मेरा अकाउंट हटा दिया जाएगा.
For some time now, I was being pressed by the authorities to make changes to my X (formerly Twitter) handle as Hurriyat chairman, as all constituents of Hurriyat Conference, including the Awami Action Committee that I head have been banned under the UAPA, making Hurriyat a banned…
— Mirwaiz Umar Farooq (@MirwaizKashmir) December 26, 2025
मीरवाइज-ए-कश्मीर मौलवी उमर फारूक ने आगे कहा कि ऐसे समय में, जब सार्वजनिक मंच और संवाद के रास्ते काफी सीमित कर दिए गए हैं, यह प्लेटफॉर्म मेरे लिए अपने लोगों तक पहुंचने और अपने मुद्दों पर अपनी बात साझा करने के गिने-चुने माध्यमों में से एक है, साथ ही बाहरी दुनिया तक अपनी आवाज पहुंचाने का भी जरिया है. इन हालात में मेरे सामने कोई विकल्प नहीं था और मुझे मजबूरी में यह फैसला करना पड़ा.
ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस क्या है?
बता दें कि ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की स्थापना 1993 में जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी संगठनों के एक संयुक्त मंच के रूप में की गई थी। एक समय यह संगठन राजनीतिक गतिविधियों को संगठित करने और बंद के आह्वान में अहम भूमिका निभाता था.
हालांकि, पिछले एक दशक में आंतरिक मतभेदों और केंद्र सरकार की लगातार कार्रवाई के कारण इसका प्रभाव काफी कम हो गया. साल 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद हुर्रियत से जुड़े ज्यादातर संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. कई नेताओं को जेल में डाला गया या सख्त कानूनों के तहत उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए, जबकि कई नेता सार्वजनिक जीवन से दूर हो गए.

