आंध्र प्रदेश के गुंटूर स्थित जिन्ना टॉवर (Guntur Jinnah Tower) को लेकर चले आ रहे विवाद के बीच उसे तिरंगे के रंग में रंग दिया गया है. जल्द उस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाएगा. 26 जनवरी को तिरंगा फहराने के लिए कुछ लोग जिन्ना टावर में घुस गए थे. इसके बाद से यह मामला तूल पकड़ गया था. टॉवर को तिरंगे के रंग में गुंटूर के पूर्व विधायक मोहम्मद मुस्तफा ने रंगा. इस पर 3 फरवरी को तिरंगा फहराया जाएगा.
ईटीवी भारत की ख़बर के अनुसार, गुंटूर ईस्ट के विधायक मोहम्मद मुस्तफा ने कहा कि विभिन्न ग्रुपों के अनुरोध पर टावर को तिरंगे वाले कलर में रंगने और उसके पास राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए एक खंभा लगाने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा कि गुरुवार को जिन्ना टावर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए जरूरी इंतजाम किए जाएंगे. विधायक मुस्तफा ने मंगलवार को जीएमसी मेयर कवती मनोहर नायडू के साथ सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने के लिए टावर का निरीक्षण किया.
विधायक मोहम्मद मुस्तफा ने कहा कि बड़े मुस्लिम नेताओं ने भी स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. आजादी मिलने के बाद, कुछ मुसलमान देश छोड़कर पाकिस्तान में बस गए. लेकिन हम अपने देश में भारतीय के रूप में बने रहना चाहते थे और हम अपनी मातृभूमि से प्यार करते हैं.
भारतीय जनता पार्टी की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि जिन्ना टावर का मुद्दा उठाने वाली बीजेपी नेताओं को सांप्रदायिक झड़पों को भड़काने के बजाय कोविड महामारी के बीच जरूरतमंद लोगों की मदद करना चाहिए.
बता दें कि 26 जनवरी को कुछ लोग तिरंगा फहराने के लिए जिन्ना टावर में घुस गए थे. बाद में उन्हें हिरासत में लिया गया था.
बीजेपी की आंध्र प्रदेश यूनिट ने पिछले साल दिसंबर में गुंटूर नगर निगम आयुक्त चल्ला अनुराधा को एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें जिन्ना टावर का नाम बदलने और इसे पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के नाम पर रखने की मांग की गई थी.
बता दें कि जिन्ना टावर के नाम बदलने के मुद्दे पर बीजेपी लगातार हमलावर रही है. भाजपा के राष्ट्रीय सचिव, सुनील देवधर ने 26 जनवरी की घटना के बाद आंध्रप्रदेश सरकार की आलोचना की थी. उन्होंने सरकार से पूछा था कि आंध्र प्रदेश का गुंटूर भारत गणराज्य का हिस्सा है या नहीं. उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि हम पाकिस्तान में नहीं हैं. उन्होंने कहा था कि बीजेपी गुंटूर में जिन्ना टावर का नाम बदलने और इसका नाम डॉ एपीजे अब्दुल कलाम रखने की लड़ाई नहीं छोड़ेगी.