सीएए-एनआरसी प्रदर्शन के समय यूपी में हुईं कितनी एफआईआर, गिरफ्तारी और मौत, APCR ने किया खुलासा

साल 2019-20 में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ देशभर में विरोध-प्रदर्शन हुए थे. कानून को वापस लिए जाने की मांग हो रही थी. यूपी के भी तमाम शहरों में विरोध-प्रदर्शन (Protest) हुए थे. जिसमें से 19 शहर अहम थे. अकेले यूपी (UP) में ही प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ 224 एफआईआर (FIR) दर्ज की गईं थी. 57 हजार से ज्यादा लोगों को नामजद और अज्ञात के रूप में आरोपी बनाया गया था. 23 लोगों की मौत हुई थी. लेकिन अनुमानित आंकड़ा कुछ और ही है. एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) ने अपनी रिपोर्ट में इसका खुलासा किया. प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (PCI), दिल्ली में हुई एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान एपीसीआर ने यह रिपोर्ट जारी की है.

एपीसीआर की रिपोर्ट में बताया गया है कि मुजफ्फरनगर में 47, फिरोजाबाद 35, कानपुर 34, अलीगढ़ 22, लखनऊ 16, मेरठ 13 और संभल में 12 एफआईआर सीएए का विरोध कर रहे लोगों के खिलाफ दर्ज की गईं. हालांकि यूपी के 19 शहरों का ही आंकड़ा रिपोर्ट में शामिल किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक 19 शहरों में 1791 नामजद, 55645 अज्ञात को आरोपी बनाया गया है. जबकि 927 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. लेकिन एपीसीआर की रिपोर्ट का अनुमानित आंकड़ा बताता है कि 350 एफआईआर दर्ज की गई हैं. जिसमे से 224 एफआईआर की कॉपी तो उसने अपने पास होने का दावा किया है. जबकि 5 हजार नामजद और एक लाख अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है. वहीं तीन हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इतना ही नहीं दो साल बाद आज भी बहुत सारे लोग जेल में बंद हैं.

एपीसीआर की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि 19 दिसंबर, 2019 को सीएए और एनआरसी के खिलाफ अखिल भारतीय विरोध प्रदर्शन के पहले आह्वान पर यूपी सरकार ने विरोध करने के मौलिक अधिकार का प्रयोग करने से रोकने के लिए लगभग 3 हजार लोगों को नोटिस के साथ धमकाया गया. उसी दिन लगभग 3305 लोगों को हिरासत में लिया गया. दो दिनों के अंदर यही आंकड़ा बढ़कर 5400 हो गया था.

एपीसीआर नागरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिये आवाज़ उठाने वाला एक संगठन है. प्रेस कांफ्रेंस के दौरान एपीसीआर के नेशनल सेक्रेट्री नदीम खान ने कहा कि सीएए के विरोध को दबाने के लिए अत्याचार की कहानी लिखी गई थी. सभी लोकतांत्रिक संस्थानों पर भी हमले किए गए. हम चाहते हैं कि यूपी की सरकार पब्लिक डोमेन में आधिकारिक डेटा जारी करे.

विरोध-प्रदर्शन के दौरान कितनी एफआईआर दर्ज की गई, कितने गिरफ्तार किए और हिरासत में लिए गए, कितने लोगों को जमानत दी गई, आतंकवाद विरोधी और दूसरे कड़े कानूनों के तहत कितने सीएए विरोधियों के खिलाफ केस दर्ज किए गए. कितने लोगों को वसूली नोटिस भेजा और संपत्तियों को कुर्क किया गया. एपीसीअर चाहती है कि सरकार इन सभी मामलों पर एक रिपोर्ट जारी करे.

बता दें कि उत्तर प्रदेश पुलिस और सरकार द्वारा सीएए-एनआरसी प्रदर्शन में किये गए मुसलमानों पर ज़ुल्म की दास्तान की एक रिपोर्ट एपीसीआर द्वारा जारी किया गया है. एपीसीआर नागरिक अधिकारों की सुरक्षा के लिये आवाज़ उठाने वाला एक संगठन है. इस रिपोर्ट को लेकर दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया.

दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में हुई प्रेस कांफ्रेंस में एपीसीआर के नेशनल सेक्रेट्री नदीम खान के अलावा स्टूडेंट एक्टिविस्ट आसिफ इक़बाल तनहा, रिसर्च स्कॉलर ऐमन खान, प्रोफेसर अपूर्वानंद, पत्रकार हरतोष सिंह, सुप्रीम कोर्ट के वकील एम् आर शमशाद, रिहाई मंच के अध्यक्ष और वकील मोहम्मद शोएब, लखनऊ हाई कोर्ट के वकील नज्मुस साकिब खान और जामिआ मिल्लिया इस्लामिया की रिसर्च स्कॉलर सफूरा ज़रगर वगैरा मौजूद थे.

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