दिल्ली हिंसा के दो साल पूरे होने पर आज दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया जिसका मुख्य विषय ‘दण्ड से मुक्ति और अन्याय’ था, जिसमें देश के बड़े बड़े लेखक, प्रोफ़ेसर और वकील शामिल हुए और अपना अपना विचार रखा.
इसमें मुख्य रूप से भारतीय लेखक अरुंधति रॉय भी शामिल थीं. उन्होंने सदा टाइम्स से बात करते हुए कहा कि ‘दिल्ली में दंगा नहीं, नरसंहार हुआ था’ और दुनिया भर में ये होता है. जब कोई शाशन आती है और लोगों के ज़रिये एक समाज के अंदर नफरत पैदा करने के लिए कोशिश करते हैं. बाद में मरहम लगाने के लिए कहते हैं कि लोग बहार से आये थे लेकिन ये दंगा राजनीति से प्रेरित था.
उन्होंने कहा कि जो सबसे पहला जुर्म था वह CAA-NRC था जिससे नागरिकता को छीनने की कोशिश की गई, जो असम में हो गया है. इसलिए जब पूरे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ तो उसको कुचलने के लिए ये एक ज़रूरी चीज़ थी लेकिन हमें इससे डरना नहीं चाहिए. जिसमें पुलिस और कोर्ट सब ने साथ दिया लेकिन ये सब दिल तोड़ने वाला है. उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं हुआ है बल्कि इससे पहले गुजरात में भी हो चूका है, मुजफ्फरनगर में हो चूका है और 1984 में भी हुआ था.
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि ये जो सरकार बनी है, ऊपर से नफरत फैला रहे हैं लेकिन जब ये सरकार चली जाएगी तो बहुत कुछ बदलेगी. ये इन्स्टिटूशनल सपोर्ट है और इन्स्टिटूशन में घुसे हुए हैं और वहां लोगों में नफरत फैला रहे हैं.
उन्होंने कहा कि सोचने का तरीका बदलना होगा और ये जो सोच है बदला भी है अगर आप उत्तर प्रदेश में जायेंगे तो आपको अलग तरह की भाषा देखने को मिलेगी, जिससे आपको पता चलेगा कि ये सिर्फ मुस्लिम को ही नहीं बल्कि जामिया को, जेएनयू को और पूरे देश को ख़त्म कर रहे हैं लेकिन धीरे धीरे सब सीख जायंगे. अधिक जानकारी की लिए वीडियो देखें …..