उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुस्लिम विधायकों की संख्या बढ़ी

उत्तर प्रदेश विधानसभा में पिछली बार के मुकाबले इस बार मुसलमानों की संख्या बढ़ी है. 403 सीटों वाले विधानसभा में इस बार 36 मुस्लिम विधायक होंगे. हालांकि, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस बार के चुनाव में जिस तरह मुस्लिम सीटों पर जोर लगाया, लग रहा था कि या तो इस बार मुस्लिम विधायकों की संख्या बहुत ज्यादा होगी या पिछले दफा से भी कम.

इस बार 36 मुस्लिम उम्मीदवार विधानसभा पहुंचे हैं, पर सारे के सारे समाजवादी पार्टी (सपा) के हैं. कांग्रेस और बहुजन समाजवादी पार्टी से जैसे तथाकथाति सेक्युलर दलों ने मुस्लिम प्रत्याशी तो बड़ी संख्या में उतारे पर वोटर्स ने उन्हें बुरी तरह नकार दिया.

मुस्लिम इलाकों में बीजेपी का प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश के 403 सदस्यीय विधानसभा चुनाव में बीजेपी और उसके सहयोगियों ने 273 सीटों पर जीत हासिल की है. दिलचस्प बात यह है कि उसने पश्चिमी यूपी के मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में 25 सीटें जीती हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां की 65 में से 40 सीटों पर जीत हासिल की थी. ऐसे में यहां बीजेपी की सीटें जरूर कम हुई है, फिर 25 सीटें जीतना अच्छा परिणाम माना जा रहा है.

यूपी चुनाव परिणामों के अनुसार, मुस्लिम बहुल समाजवादी-रालोद गठबंधन ने 65 में से 40 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि भाजपा ने 25 सीटों पर जीत हासिल की. इन परिणामों पर करीब से नजर डालने से पता चलता है कि मुसलमानों का सर्वसम्मत वोट सोशलिस्ट एलायंस को गया. वहीं दूसरी ओर बीजेपी ने बसपा के दलित वोट बैंक में सेंध लगा दी है. माना जा रहा है कि बसपा के वोट से बीजेपी ने मुस्लिम क्षेत्रों में अपनी सीट बचाई.

दूसरी ओर, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-ए-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने 100 सीटों के लिए उम्मीदवार खड़े किए थे, लेकिन उनमें से कोई भी नहीं जीता.

मुस्लिम विधायकों का प्रतिशत 8.93

नवनिर्वाचित 403 सदस्यीय उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुस्लिम विधायकों की संख्या में इजाफा हुआ है. यूपी की 17वीं विधानसभा में मुस्लिम विधायकों की संख्या 24 थी, जो बढ़कर 36 हो गई है. प्रतिशत के लिहाज से देखें तो नवनिर्वाचित मुस्लिम विधायक राज्य के कुल 403 विधायकों में 8.93 प्रतिशत हैं.

इस बार जिन मुस्लिम उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है जिनमें प्रमुख हैं मोहम्मद आजम खान, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान, मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास और भतीजे सुहेब अंसारी उर्फ मन्नू अंसारी हैं.

इस बार कहां से कौन जीता

अमरोहा-महबूब अली, बहेड़ी-अता उर रहमान, बेहट-उमर अली खान, भदोही-जाहिद, भोजीपुरा-शहजिल इस्लाम, बिलारी-मो. फहीम, चमरौआ-नसीर अहमद, गोपालपुर-नफीस अहमद, इसौली-मो. ताहिर खान, कैराना-नाहिद हसन, कानपुर कैंट-मो. हसन, कांठ-कमाल अख्तर, किठौर-शाहिद मंजूर, कुंदरकी-जिया उर रहमान, लखनऊ वेस्ट-अरमान खान, मटेरा-मारिया, मऊ-अब्बास अंसारी, मेरठ-रफीक अंसारी, महमूदाबाद-सुहेब उर्फ मन्नू अंसारी, मुरादाबाद ग्रामीण-मो. नासिर, नजीबाबाद-तस्लीम अहमद, निजामाबाद-आलम बदी, पटियाली-नादिरा सुल्तान, राम नगर-फरीद मो. किदवई, रामपुर-मो. आजम खान, संभल-इकबाल महमूद, सिंकदरपुर-जिया उद्दीन रिजवी, शीशामऊ-हाजी इरफान सोलंकी, सिवालखास-गुलाम मोहम्मद, स्वार-मो. अब्दुल्ला आजम, ठाकुरद्वारा-नवाब जान, थानाभवन-अशरफ अली, डुमरियागंज-सैय्यदा खातून, सहारनपुर-आशु मलिक.

कब कितने विधायक

वर्ष               मुस्लिम विधायक

यूपी में भगवा पार्टी की जीत की सराहना करते हुए, एमआरएम ने कहा कि राज्य के लोगों ने विपक्षी दलों की ‘नकारात्मक राजनीति’ को खारिज कर दिया और ‘मोदी-योगी शासन शैली’ में अपना विश्वास व्यक्त किया.

इससे पहले एमआरएम कार्यकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में घर-घर जाकर अभियान किया था. इसने चार राज्यों में भाजपा के लिए प्रचार किया था.

असदुद्दीन ओवैसी की प्रतिक्रिया
यूपी विधानसभा चुनाव में 100 उम्मीदवार उतारने वाले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वह जनता के फैसले का सम्मान करते हैं.

कुछ राजनीतिक नेताओं के दावों को खारिज करते हुए ओवैसी ने कहा कि परिणाम का नतीजा ईवीएम की गलती के कारण नहीं है. उन्होंने कहा कि पार्टी यूपी में काम करती रहेगी.

एआईएमआईएम सुप्रीमो ने कहा कि उनका हौसला बुलंद है और पार्टी गुजरात, राजस्थान और अन्य राज्यों में भी विधानसभा चुनाव लड़ेगी.

(इनपुट आवाज़ द वायस, अमर उजाला)

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