कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (केपीएसएस) के सप्ताह के भीतर घाटी छोड़ने के आह्वान के बाद कश्मीर का आम मुसलमान बेहद चिंतित है. उन्हें रोकने के लिए वह न केवल आगे आए हैं. जुलूस की शक्ल में घरों से गलियों एवं सड़कों पर निकलकर आतंकवादियों की टारगेट किलिंग का विरोध करने का साहस भी दिखा रहे हैं.
इस समय सोशल मीडिया पर ऐसा ही एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर जुलूस की शक्ल में चल रहे हैं और नारे लगा रहे हैं-कत्ल-ए-नाहक नामंजूर, खून खराबा नामंजूर, आपस में हम भाई-भाई.
Now #KashmiriMuslims also condemn the killings of their Kashmiri Pandit brothers
All Kashmiris are with you in your fight
Now at least strike back dear #KashmiriPandits
Don't leave the valley
Stay back
Fight for your rights
We are all with you pic.twitter.com/k5fmFTUuly— Yana Mir (@MirYanaSY) August 16, 2022
एक अन्य वीडियो में कश्मीरी मुसलमान कश्मीरियों से अपील करते घूम रहे हैं-घाटी न छोडें, यहां रहें. हम आपके अधिकार के लिए लड़ेंगे. बता दें कि शोपियां में ताजा आतंकी हमले के बाद कश्मीरी पंडितों के संगठन ने स्थानीय पंडितों से घाटी छोड़ने का आहवान किया है.
It’s high time the present govt identifies with the anger and pain of #KashmiriPandits who continue to be killed in #Kashmir .
He is the relative of victim Sunil Bhat who got upset with the govt officials .
Shame . #kashmiripanditsgenocide pic.twitter.com/0Mh5QDZkd0— Ashoke Pandit (@ashokepandit) August 16, 2022
इसके बाद से कश्मीर से सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं जिसमें कश्मीरी पंडितों के घाटी छोड़ने और अधिकारियों द्वारा उन्हें रोकने की कोशिश करते दिखाया गया है.
आवाज़ द वॉयस की खबर के मुताबिक, एक दिन पहले आतंकवादियों ने सुनील कुमार नामक एक व्यक्ति की नृशंस हत्या कर दी थी, जबकि उनके भाई घायल हो गए थे. इसके बाद ही श्रीनगर स्थित संगठन के अध्यक्ष संजय कुमार टीकू ने अल्पसंख्यक समुदाय के सभी सदस्यों से कश्मीर छोड़ने को कहा.
केपीएसएस के बयान में कहा गया है, कश्मीर घाटी में कोई भी कश्मीरी पंडित सुरक्षित नहीं है. कश्मीरी पंडितों के लिए, केवल एक ही विकल्प बचा है कि वह कश्मीर छोड़ दें या धार्मिक कट्टरपंथियों द्वारा मारे जाएं, जिन्हें स्थानीय आबादी का समर्थन प्राप्त है.
शोपियां जिले के छोटिगम गांव में मंगलवार को लक्षित हमले में कुमार की मौत हो गई, जबकि उनके भाई पीतांबर उर्फ पिंटू गंभीर रूप से घायल हो गए.
केपीएसएस के बयान में यह आरोप लगाया गया है कि कश्मीर में जहां पर्यटक और अमरनाथ यात्री सुरक्षित हैं, वहीं गैर-स्थानीय मुस्लिम और कश्मीरी पंडित आतंकवादियों के निशाने पर हैं.
बयान में संगठन ने सरकार पर आरोप लगाया कि अपने कड़े बयान के बावजूद समुदाय की रक्षा करने में यह विफल रही है. इसके उलट शापियां में मुसलमानों ने सड़क पर आतंकवादियों की हत्या की राजनीति के विरूद्ध न केवल यह जताने की कोशिश की कि स्थानीय लोग उनके कतई साथ नहीं हैं. न ही हत्या का समर्थन करते हैं. साथ ही वह नहीं चाहते कि कश्मीर पंडित घाटी छोड़कर जाएं.
वैसे यह पहला मौका नहीं है. इससे पहले भी हिंदुओं की टारगेट किलिंग के बाद ऐसी एकजुटता दिखाई जा चुकी है. कश्मीर में धरना प्रदर्शन किया जा चुका है. एक सिख महिला टीचार की हत्या के बाद तो जैसे घाटी के तमाम बहुतसंख्या आतंकवादियों के विरोध में सड़कों पर आ गए थे.
दूसरी तरफ सुरक्षा बल भी आतंकवादियों की कमर तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. चूंकि आतंकवादियों ने माइक्रो टारगेट किलिंग का तरीका अपना लिया है, इसलिए ऐसी स्थिति को काबू करने में थोड़ी दिक्कत आ रही है.