बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में दोषियों की रिहाई पर भड़के जावेद अख्तर, बोले- हमारे समाज में कुछ तो गलत हो रहा है

गुजरात का चर्चित बिलकिस बानो केस एक बार फिर से सुर्खियों में है. दरअसल, हाल ही में इस गैंगरेप केस के 11 दोषियों को जेल से रिहा कर दिया गया है जिसको लेकर बहुत से लोगों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. अब इस लिस्ट में लेखक-गीतकार जावेद अख्तर का नाम भी जुड़ गया है. जावेद अख्तर ने इस मामले पर कड़ा विरोध जाहिर करते हुए ट्विटर पर अपनी बात रखी है.

जावेद अख्तर ने जताई नाराजगी
उन्होंने शुक्रवार को इस पूरे मामले पर नाराजगी जताते हुए अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘जिन लोगों ने पांच महीने की प्रेग्नेंट महिला के साथ रेप किया और उनकी तीन साल की बेटी समेत परिवार के सात लोगों की हत्या की, उन्हें जेल से छोड़ दिया गया. इन लोगों को माला पहनाई गई और मिठाइयां भी खिलाई गईं. उन्होंने आगे कहा कि इस पर सोचने की जरूरत है. आगे उन्होंने लिखा, ‘किसी बात के पीछे मत छिपिए. हमारे समाज में कुछ तो गलत हो रहा है जो बहुत गंभीर है.’

2008 में मिली थी सजा

बिलकिस बानो केस में दोषियों की रिहाई होने पर मोदी सरकार को खूब आलोचना झेलनी पड़ रही है. तमाम पार्टियां इस मसले पर बीजेपी को घेरने में लगी हैं. सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त के दिन ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव’ के मौके पर रिहा कर दिया गया है.

11 दोषी जिनकी रिहाई हुई है. फोटो : सोशल मीडिया

बता दें कि बानो केस में दोषियों की रिहाई गुजरात सरकार ने अपनी क्षमा नीति के तहत की है. मुंबई में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने 11 दोषियों को 21 जनवरी 2008 को सामूहिक बलात्कार और बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

इसके बाद में बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने उनकी इस सजा को बरकरार रखा था. इन दोषियों ने 15 साल से अधिक कैद की सजा काट ली, जिसके बाद उनमें से एक दोषी ने समय से पहले रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से सजा पर क्षमा पर गौर करने का निर्देश दिया. इसके बाद सरकार ने एक समिति का गठन किया. समिति के प्रमुख मायत्रा ने कहा क‍ि कुछ माह पहले गठित समिति ने सर्वसम्मति से मामले के सभी 11 दोषियों को क्षमा करने के पक्ष में निर्णय किया. राज्य सरकार को सिफारिश भेजी गई थीं और कल हमें उनकी रिहाई के आदेश मिले.

बिलकिस बानो, फोटो : सोशल मीडिया

क्या है बिलकिस बानो केस

साल 2002 में 3 मार्च को गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका के रंधिकपुर गांव में भीड़ ने बिलकिस बानो के परिवार पर हमला किया था. उस वक्त बिलकिस पांच महीने की गर्भवती थीं. बिलकिस के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया. साथ ही उनके परिवार के सात सदस्यों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी.

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