ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने जस्टिस शेखर द्वारा दिए गए विवादित बयान के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. AIMPLB ने सभी राजनीतिक दलों को लेटर लिखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव के हाईकोर्ट परिसर में दिए गए भाषण के मामले में उचित कार्रवाई करने की अपील की है.
शेखर यादव का बयान संवैधानिक जिम्मेदारी के खिलाफ
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मोहम्मद फजलुर रहीम मुजद्दिदी ने लेटर लिखते हुए कहा कि जस्टिस यादव ने जो बयान 8 दिसंबर 2024 को दिया, वह उनके धार्मिक पक्षपात को दर्शाता है और एक न्यायाधीश के तटस्थ बने रहने की संवैधानिक जिम्मेदारी के खिलाफ है. उन्होंने यह भी कहा कि छह महीने बीतने के बाद भी इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे लगता है कि राजनीतिक दलों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया.
‘अपने निजी एजेंडे की वकालत की’
लेटर में आगे कहा गया कि एक संवैधानिक न्यायालय के सदस्य होने के नाते न्यायाधीश ने एक तरह की संवैधानिकता को बढ़ावा देने के अपने निजी एजेंडे की वकालत की है, जो अपने आप में असंवैधानिक है और जिसके लिए संविधान के भीतर स्थापित तंत्र से गंभीर हस्तक्षेप की आवश्यकता है.
AIMPLB ने आगे कहा…
AIMPLB ने यह भी कहा कि हमें सभी राजनीतिक दलों/वर्ग को याद दिलाना होगा कि भारत के संविधान 1950 के अनुसार संवैधानिक संस्कृति, न्यायाधीश को मौजूदा न्यायाधीश के पद पर रहते हुए पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण दिखाने की अनुमति नहीं देती है. वैसे भी हमारे देश में विविधता और समावेशिता किसी न्यायाधीश को न्यायमूर्ति यादव की तरह पक्षपात करने की अनुमति नहीं देती है और इसलिए यह आवश्यक है कि राजनीतिक दल/वर्ग इस मुद्दे को भारत के संविधान में बताई गई प्रक्रिया के भीतर उठाएं.
जस्टिस शेखर यादव ने दिया था विवादित बयान
बता दें कि बीते साल दिसंबर में विश्व हिंदू परिषद की विधि प्रकोष्ठ की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में जस्टिस शेखर यादव ने यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन करते हुए शरीयत कानून की निंदा की थी. इसके साथ ही उन्होंने विवादित बयान देते हुए कहा था कि देश की व्यवस्था बहुसंख्यकों के हिसाब से चलेगी.शेखर यादव के इस बयान का देशभर में विरोध किया गया था.