Umar Khalid, Sharjeel Imam Bail Plea Rejected: दिल्ली हाई कोर्ट ने 2020 दिल्ली दंगों की साजिश से जुड़े मामले में उमर खालिद, शरजील इमाम और सात अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी. हाईकोर्ट के इस फैसले पर एक्टर प्रकाश राज, राज्यसभा सांसद सागरिका घोष समेत कई लोगों ने सवाल खड़े किए हैं. प्रकाश राज ने इस फैसले को दयनीय, अन्यायपूर्ण, समझौतापूर्ण और न्याय का मजाक बताया है.
‘इतिहास कभी माफ नहीं करेगा’
एक्टर प्रकाश राज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट करते हुए कहा कि दयनीय… अन्यायपूर्ण… समझौतापूर्ण… न्याय का मजाक. इतिहास इसे कभी माफ नहीं करेगा. हमें इस अन्याय के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखनी है और उमर खालिद और सभी राजनीतिक बंदियों के साथ खड़े रहना है.
Pathetic… unfair .. compromised.. Mockery of justice. History will never forgive this. Its for us to continue our fight against this injustice and stand by #umarKhalid and all #PoliticalPrisoners #justasking pic.twitter.com/jZnQxu5Fw8
— Prakash Raj (@prakashraaj) September 2, 2025
राज्यसभा सांसद सागरिका घोष ने क्या कहा ?
राज्यसभा सांसद सागरिका घोष ने हाईकोर्ट के फैसले के बाद कहा कि बिना किसी ट्रायल के दोषी ठहराने या बरी करने के लिए 5 साल जेल में. अगर उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य निर्दोष साबित होते हैं, तो इन युवाओं को जेल में बिताए उनके खोए हुए साल कौन वापस देगा? यह कैसा न्याय है? शर्मनाक. घृणित. अन्यायपूर्ण.
5 years in jail without even a trial to prove guilt or innocence/ to convict or acquit. If #UmarKhalid #SharjeelImam & others are proven innocent who will give these young people back their lost years in jail? What kind of justice is this? Shameful. Obnoxious. Unjust. pic.twitter.com/1rD1SyyvJQ
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) September 2, 2025
पत्रकार रविश कुमार ने कहा
वरिष्ठ पत्रकार रविश कुमार ने कहा कि पांच साल गुजर गए. फिर भी इंसाफ इंतजार कर रहा है. तो क्या सजा होने से पहले ही सजा देनी है. फिर कोर्ट को भी बेल के नियम और जेल के अपवाद होने का ज्ञान बंद कर देना चाहिए.
‘उनका एकमात्र अपराध यह है कि वे सभी मुसलमान’
वहीं पत्रकार अरफा खानम शेरवानी ने कहा कि उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा, खालिद सैफी, मीरान हैदर और अन्य को जमानत नहीं मिली. उनका एकमात्र अपराध यह है कि वे सभी मुसलमान है. दिल्ली दंगा मामले में दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला भारत में निष्पक्षता में विश्वास की आखिरी डोर भी तोड़ देता है.
‘बिना ट्रायल कैसे पता चलेगा कि कोई गुनहगार है भी कि नहीं’
पत्रकार सर्वप्रिया सांगवान ने कहा कि जमानत अर्जी खारिज करते जा रहे हो, पर ट्रायल तो शुरू करो. 5 साल से ट्रायल शुरू नहीं हुआ है, कैसे पता चलेगा कि कोई गुनहगार है भी कि नहीं. पिछले 5 साल में 5 चीफ जस्टिस आ चुके हैं, क्या किसी को भी ये दिखाई नहीं देता कि ट्रायल नहीं शुरू हो रहा है और लोग जेल में बंद हैं. बात सिर्फ कुछ लोगों की नहीं है, ये सिस्टम है.
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने उमर खालिद और शरजील इमाम के साथ- साथ अथर खान, खालिद सैफी, मोहम्मद सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा और शादाब अहमद की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी. सभी आरोपियों ने ट्रायल कोर्ट द्वारा जमानत न देने के आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.

