नई दिल्ली: इस्लाम में मुस्लिम महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश करने पर कोई पाबंदी नहीं है. महिलाएं मस्जिद में जमाअत के साथ नमाज भी अदा कर सकती हैं. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दूसरी याचिका में भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपना हलफनामा दायर किया है, जिसमें मुस्लिम महिलाओं को नमाज अदा करने के लिए मस्जिदों में प्रवेश करने का निर्देश देने की मांग की गई है.
बोर्ड ने बुधवार को बयान जारी कर इसकी जानकारी देते हुए बताया कि यह हलफनामा मोटे तौर पर बोर्ड द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष दायर इसी तरह की याचिका में पहले हलफनामे के अनुरूप है.
बोर्ड ने इस्लामिक ग्रंथों का संदर्भ में कहा कि मुस्लिम महिलाओं के मस्जिदों में प्रवेश करने और अकेले या सामूहिक तौर पर नमाज अदा करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है.
آل انڈیا مسلم پرسنل لا بورڈ کا #خواتین کے #مساجد میں #داخلے پر اہم بیان pic.twitter.com/lJf8NbKotw
— All India Muslim Personal Law Board (@AIMPLB_Official) February 8, 2023
बोर्ड ने बताया कि महिला और पुरुष के एक साथ नमाज अदा करने पर मनाही है. बोर्ड ने कहा कि अगर संभव हो तो मस्जिद की प्रबंधन समिति परिसर के अंदर महिलाओं के लिए अलग इंतजाम करे.
बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया है कि याचिकाकर्ता ने मक्का में ब्लैक स्टोन (हजरे अस्वद) के आसपास तवाफ का उदाहरण दिया है, वो नमाज की अदायगी के हवाले से गुमराह करने वाला है. यहां तक कि मक्का में पवित्र काबा के आसपास की सभी मस्जिदों में पुरुषों और महिलाओं को एक साथ नमाज अदा करने की इजाजत नहीं है.
इसी तरह भारत में ये मामला मौजूदा मस्जिदों में उपलब्ध सुविधा पर निर्भर है. मस्जिद की प्रबंधन समितियां महिलाओं के लिए इस तरह के अलग-अलग स्थान बनाने के लिए स्वतंत्र हैं. बोर्ड ने मुस्लिम समुदाय से भी अपील करते हुए कहा कि जहां भी नई मस्जिदें बनाई जाएं, महिलाओं के लिए उपयुक्त जगह बनाने के इस मुद्दे को ध्यान में रखा जाए.