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अखलाक लिंचिंग केस में योगी सरकार को करारा झटका, कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ केस वापस लेने की अर्जी खारिज की

उत्तर प्रदेश की सूरजपुर कोर्ट के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज सौरभ द्विवेदी ने निर्देश दिया कि इस मामले को "सबसे महत्वपूर्ण" कैटेगरी में रखा जाए और सुनवाई रोजाना की जाए. साथ ही कोर्ट ने अभियोजन पक्ष को जल्द से जल्द सबूत रिकॉर्ड करने का निर्देश दिया.

Akhlaq Moblynching Case Update:  उत्तर प्रदेश की सूरजपुर कोर्ट ने आज यानी कि मंगलवार, 23 दिसंबर को योगी सरकार को मोहम्मद अखलाक लिंचिंग केस में बड़ा झटका दिया. कोर्ट ने योगी सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें मोहम्मद अखलाक के मॉब लिंचिंग के आरोपियों के खिलाफ सभी आरोप वापस लेने की मांग की गई थी. सूरजपुर कोर्ट ने याचिका खारिज करने के साथ ही इस मामले का ट्रायल तेज करने का आदेश दिया.

कोर्ट ने क्या कहा?

एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज सौरभ द्विवेदी ने निर्देश दिया कि इस मामले को “सबसे महत्वपूर्ण” कैटेगरी में रखा जाए और सुनवाई रोजाना की जाए. साथ ही कोर्ट ने अभियोजन पक्ष को जल्द से जल्द सबूत रिकॉर्ड करने का निर्देश दिया.

कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि सभी सबूतों की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गौतम बुद्ध नगर के पुलिस कमिश्नर और ग्रेटर नोएडा के डिप्टी कमिश्नर को एक लेटर भेजा जाए. बता दें कि इस मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी.

हिंदूवादी भीड़ ने पीट- पीटकर अखलाक की हत्या की थी

बता दें कि दस साल पहले 28 सितंबर 2015 को हिंदूवादी भीड़ ने अखलाक की पीट- पीट कर हत्या कर दी थी. गौतमबुद्धनगर जिले के दादरी के बिसाहड़ा गांव में गांव के मंदिर से यह अफवाह फैलाई गई कि अखलाक ने अपने फ्रिज में गाय का मांस रखा है. इस अफवाह के बाद उग्र हिंदूवादी भीड़ अखलाक के घर में पहुंच गई. भीड़ ने अखलाक और उनके बेटे दानिश को घर से घसीटकर बाहर निकाला और बेरहमी से पीटा. 52 वर्षीय अखलाक को भीड़ ने पोल से बांधकर धार्मिक नारे लगाने को कहा और बेरहमी से पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया. वहीं दानिश गंभीर रूप से घायल हो गया. जब इस घटना के जांच हुए तो पचा चला कि फ्री में रखा गया मांस गाय का नहीं बल्कि भैंस का मांस था.

योगी की सरकार बनने के बाद आरोपी रिहा हुए थे

बता दें कि देशभर में इस घटना पर भारी नाराजगी के बावजूद, सितंबर 2017 तक सभी 18 आरोपी ग्रामीणों को जमानत पर रिहा कर दिया गया. यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के कुछ ही समय बाद हुआ. आरोपियों में स्थानीय बीजेपी नेता संजय राणा का बेटा विशाल राणा भी शामिल है.

योगी सरकार ने केस वापस लेने की अर्जी डाली थी

बीते 15 अक्टूबर को योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में मुकदमा वापस लेने के लिए एक आवेदन दिया. सरकार ने इसके पीछे यह कारण बताए कि अखलाक के परिवार के बयानों में कथित तौर पर विरोधाभास हैं, कोई भी बंदूक या धारदार हथियार बरामद नहीं हुआ है, और आरोपियों व पीड़ित के बीच पहले से कोई दुश्मनी नहीं थी.

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