प्रयागराज: पिछले साल मई में वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर कथित तौर पर मिले शिवलिंग जैसी संरचना की उम्र का पता लगाने के लिए कार्बन डेटिंग रिपोर्ट पेश न करने पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के महानिदेशक (डीजी) वी. विद्यावती को फटकार लगाई।
न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्रा, लक्ष्मी देवी और तीन अन्य द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिन्होंने वाराणसी अदालत के 14 अक्टूबर, 2022 के आदेश को चुनौती दी थी।
उन्होंने कार्बन डेटिंग और ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) के माध्यम से शिवलिंग जैसी संरचना की वैज्ञानिक जांच करने के लिए एएसआई को उच्च न्यायालय से निर्देश देने की मांग की थी।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने एएसआई अधिकारी के रवैये को सुस्त बताया और कहा कि निष्क्रियता ने अदालती कार्यवाही में बाधा डाली है।
अदालत ने एएसआई डीजी को सुनवाई की अगली तारीख 17 अप्रैल तक मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आखिरी मौका दिया।
हाईकोर्ट ने कहा, निश्चित रूप से, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक की ओर से यह सुस्त रवैया बेहद निंदनीय है और इस तरह की प्रथा को बंद किया जाना चाहिए।
पीठ ने कहा, देश भर में विशेष प्रशासन को नियंत्रित करने वाले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक का पद संभालने वाले एक उच्च अधिकारी को मामले की गंभीरता को जानना चाहिए और मुख्य रूप से न्यायालय के आदेशों का सम्मान करना चाहिए।
गौरतलब है कि हिंदू पक्ष इस ढांचे को शिवलिंग बता रहा है, जबकि ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी इसे फव्वारा करार दे रही है।
—आईएएनएस