H-1B visa fee increased: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को H-1B वीजा प्रोग्राम को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है. उन्होंने एक आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत अब इस वीजा की सालाना फीस 1 लाख डॉलर (लगभग 83 लाख रुपये) कर दी गई है. इस फैसले के बाद, अमेरिका की टेक कंपनियों के लिए भारतीय प्रोफेशनल्स को हायर करना बहुत महंगा और मुश्किल हो जाएगा.
बता दें कि H-1B वीज़ा के सबसे बड़े लाभार्थी भारतीय हैं. अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के बीच, करीब 4 लाख H-1B वीज़ा में से 72% वीज़ा भारतीय नागरिकों को जारी किए गए. इसी अवधि में, अमेरिका में काम कर रही भारत की चार बड़ी आईटी कंपनियाँ Infosys, TCS, HCL और Wipro ने लगभग 20,000 कर्मचारियों के लिए H-1B वीज़ा की मंज़ूरी हासिल की.
21 सितंबर से लागू होगा आदेश
अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लूटनिक ने बताया कि ट्रंप का यह आदेश 21 सितंबर से लागू होगा. यह नियम केवल नए H-1B वीज़ा आवेदनों पर लागू होगा, लेकिन कंपनियों को हर आवेदक के लिए अगले छह साल तक यही भारी-भरकम फीस चुकानी होगी.
अमेरिका के आदेश पर कांग्रेस ने पीएम मोदी को घेरा
अमेरिका के इस कदम पर कांग्रेस ने कहा कि नरेंद्र मोदी के दोस्त ट्रंप ने ‘H-1B वीजा’ की फीस बढ़ा दी है. पहले H-1B वीजा की फीस 6 लाख रुपए थी, जो अब बढ़कर 88 लाख रुपए हो गई है.
‘भारत के IT प्रोफेशनल्स की नौकरियां खतरें में’
कांग्रेस ने कहा कि ट्रंप के इस फैसले से सबसे ज्यादा नुकसान भारत को होगा. भारतीयों के लिए अमेरिका में नौकरी के मौके कम होंगे. अमेरिका से भारत आने वाले पैसे में भी भारी कमी आएगी. भारत के IT प्रोफेशनल्स की नौकरियां खतरें में होंगी.
नरेंद्र मोदी के दोस्त ट्रंप ने ‘H-1B वीजा’ की फीस बढ़ा दी है।
पहले H-1B वीजा की फीस 6 लाख रुपए थी, जो अब बढ़कर 88 लाख रुपए हो गई है।
• ट्रंप के इस फैसले से सबसे ज्यादा नुकसान भारत को होगा
• भारतीयों के लिए अमेरिका में नौकरी के मौके कम होंगे
• अमेरिका से भारत आने वाले…— Congress (@INCIndia) September 20, 2025
‘भारत का पीएम कमज़ोर’
कांग्रेस ने ये भी कहा कि साफ है नरेंद्र मोदी की नाकाम विदेश नीति का खामियाजा आज देश भुगत रहा है. वहीं राहुल गांधी ने कहा कि मैं दोहराता हूं कि भारत का पीएम कमज़ोर है.
नीति आयोग पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने क्या कहा?
दूसरी ओर नीति आयोग पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H-1B वीज़ा की फीस को 1 लाख डॉलर तक बढ़ाना अमेरिका की इनोवेशन क्षमता को बाधित करेगा, और इसके उलट, भारत में इनोवेशन को तेज़ी से बढ़ावा मिलेगा. वैश्विक टैलेंट के लिए दरवाज़े बंद करके, अमेरिका आने वाले समय की लैब्स, पेटेंट, स्टार्टअप्स और टेक्नोलॉजी को बैंगलोर, हैदराबाद, पुणे और गुरुग्राम की ओर मोड़ रहा है.
उन्होंने आगे कहा कि भारत के सर्वश्रेष्ठ डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक और इनोवेटर्स के पास अब विकसित भारत की दिशा में भारत की तरक्की में योगदान देने का सुनहरा मौका है.

