2024 तक ई-जनगणना हो जायेगी पूरी: अमित शाह

गुवाहाटी: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि आगामी जनगणना ई जनगणना होगी और इसे 2024 तक पूरा कर लिया जायेगा.

गृह मंत्री ने असम में गुवाहाटी के अमीगांव में जनगणना भवन का लोकार्पण करने के अवसर पर कहा कि यह 100 प्रतिशत परफेक्ट जनगणना होगी, जिसके आधार पर देश के आगामी 25 साल के विकास का खाका खींचा जायेगा.

उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने तय किया है कि जनगणना को आधुनिक से आधुनिक तकनीक के माध्यम से सांइटिफिक, सटीक और बहुआयामी बनाया जायेगा तथा उसके डाटा के विश्लेषण की सारी व्यवस्था बनाई जायेगी.

उन्होंने कहा कि अनुभव सिद्ध डाटा के आधार पर जो निर्णय लिये जाते हैं वह निर्णय परिणाम लक्षित होते हैं. इसी वजह से, अनुभव सिद्ध डाटा निर्मित करने के लिये हमने तय किया है कि कोविड महामारी के कारण रुकी आगामी जनगणना ई जनगणना यानी इलेक्ट्रॉनिक जनगणना होगी.

अमित शाह ने कहा कि हम एक नया सॉफ्टवेयर भी तैयार करने जा रहे हैं और इसमें जन्म-मृत्यु रजिस्टर को भी जोड़ने का प्रावधान किया गया है. आने वाले दिनों में हम इसका भी बहुआयामी तरीकों से उपयोग करने वाले हैं. जन्म होने के साथ ही बच्चे की बर्थ डेट के साथ यह जनगणना रजिस्टर के बैक इंफॉर्मेशन में आ जाएगा और 18 साल का होने के बाद जनगणना रजिस्ट्रार कार्यालय से ही वह मतदाता सूची में मतदाता के रूप में रजिस्टर हो जायेगा. मृत्यु होते ही मतदाता सूची से उसका नाम डिलीट हो जायेगा. आप घर बदलेंगे, नई रजिस्ट्री होगी, आपको एक एसएमएस आयेगा कि आपने यह घर रहने के लिये लिया है या वहां ट्रांसफर होने वाले हो, आपकी सूचना के अनुसार ही मतदाता सूची में भी बदलाव हो जायेंगे.

उन्होंने कहा कि इसमें बहुत अधिक जागरूकता की जरूरत है और हम टेलीविजन चैनल, दूरदर्शन और अखबारों से विनती कर इसके प्रति जागरूकता लाने के प्रयास करेंगे.

अमित शाह ने कहा कि नागरिक पंजीकरण प्रणाली सीआरएस में भी 2024 तक 100 प्रतिशत रजिस्ट्रेशन का लक्ष्य रखा गया है. वर्ष 2024 तक हर जन्म और मृत्यु का रजिस्ट्रेशन होगा और हमारी जनगणना ऑटोमेटिकली अपडेट हो जायेगी.

गृह मंत्री ने कहा कि देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जनगणना को केवल जनसंख्या और जनसांख्यिकी के आंकड़ों के साथ नहीं बल्कि विकास के आयोजन और योजनाओं का आधार बनाने के लिये एक नई शुरूआत हुई है.

उन्होंने कहा कि देश और समाज के रूप में यहां जनगणना को बहुत हल्के से लिया गया है. जनगणना जनसांख्यिकी, डेमोग्राफिक चेंज, देश के आर्थिक विकास के नक्शे और आर्थिक विकास में पीछे रह गये भौगोलिक क्षेत्र तथा सामाजिक समूहों के बारे में बताती है.

अमित शाह ने कहा कि इसके साथ ही सामाजिक संरचना में होते बदलाव तथा भाषा और सांस्कृतिक परिचय भी जनगणना ही कराती हैं. इतनी बहुआयामी कवायद को अब तक जितना महत्व मिलना चाहिये था दुर्भाग्य से वह नहीं मिला.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 75 साल में हमारा लोकतंत्र माँगों पर आधारित लोकतंत्र हो गया है. हमारे देश में कमियों की चर्चा तो होती है परंतु ये कमियाँ किस वजह से हैं इस पर चर्चा नहीं होती, इनका निपटारा कैसे किया जाये इस पर बहुत कम चर्चा होती है.

उन्होंने कहा कि अगर किसी भी देश को इन कमियों का निपटारा करना है तो उसकी प्लानिंग ठीक होनी चाहिये और यहतभी हो सकती है जब जनगणना सटीक हो. जनगणना ही बता सकती है कि देश में कहाँ विकास कम है, अनुसूचित जाति और जनजाति की स्थिति क्या है, पहाड़ों, गाँव, कस्बों और शहरों में लोग किस प्रकार का जीवन व्यतीत कर रहे हैं. अगर बजट की प्लानिंग जनगणना द्वारा रेखांकित विकास के नक्शे के आधार पर होती है तो सारी समस्याओं का अपने आप समाधान निकल आता है.

—आईएएनएस

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