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Bihar: मॉब लिंचिंग में मारे गए अतहर हुसैन के परिजनों को इंसाफ दिलाने के लिए जमीयत उलमा-ए-हिंद ने बड़ा कदम उठाया

जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जमीयत की लीगल टीम अनुभवी आपराधिक वकीलों का एक विधिवत पैनल गठित कर रही है, ताकि पीड़ित परिजनों को न केवल न्याय दिलाया जा सके, बल्कि हत्यारों को उनके किए की सख्त सजा मिल सके.

Athar Hussain Mob Lynching Case: बिहार के नवादा जिले में बीते दिनों एक मुस्लिम व्यापारी की लिंचिंग की गई, जिसके बाद उनकी मौत हो गई. इस घटना के बाद मुसलमानों के जान की सुरक्षा पर कई गंभीर सवाल खड़ा ह गए हैं. पुलिस ने लिंचिंग में शामिल आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इसी बीच जमीयत उलमा-ए-हिंद (Jamiat Ulama-i-Hind) की कानूनी सहायता समिति अतहर हुसैन के परिजनों को कानूनी मदद दने के लिए आगे आई है. इसकी जानकारी जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी (Maulana Arshad Madani) ने दी.

जमीयत इंटरवीनर के रूप में याचिका दायर करेगी

जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि बिहार में मॉब लिंचिंग में मारे गए अतहर हुसैन की पत्नी की दरखास्त पर जमीयत उलमा-ए-हिंद की कानूनी सहायता समिति इस मामले में कानूनी मदद उपलब्ध कराने के लिए आगे आई है. इस प्रकरण में जमीयत हस्तक्षेपकर्ता (इंटरवीनर) के रूप में याचिका दायर करेगी.

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि इस सिलसिले में जमीयत उलमा-ए-हिंद की लीगल टीम अनुभवी आपराधिक वकीलों का एक विधिवत पैनल गठित कर रही है, ताकि पीड़ित परिजनों को न केवल न्याय दिलाया जा सके, बल्कि हत्यारों को उनके किए की सख्त सजा मिल सके.

मौलाना अरशद मदनी ने मीडिया पर उठाए गंभीर सवाल

मौलाना अरशद मदनी मीडिया की खामोशी पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि नालंदा में एक गरीब फेरीवाले अतहर हुसैन को नाम और मजहब पूछकर मार डाला गया तो अब देश का पक्षपाती मीडिया चुप क्यों है? क्या इसलिए कि मरने वाला मुसलमान है? यह दोहरा चरित्र क्यों? जुल्म, जुल्म ही होता है,वह न हिंदू होता है, न मुसलमान. अगर हम इंसान होने का दावा करते हैं, तो हमें हर तरह के जुल्म के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए.

जमीयतके अध्यक्ष ने इस शर्मनाक घटना की निंदा करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट की सख्त हिदायतों के बावजूद ऐसे घटनाक्रमों का होना इस बात का प्रमाण है कि ऐसे कृत्य करने वालों को राजनीतिक संरक्षण और समर्थन प्राप्त है, इसी कारण उनके हौसले बुलंद हैं. मॉब लिंचिंग सांप्रदायिक तत्वों की नफरत भरी राजनीति का नतीजा है, जो देश में खुलेआम की जा रही है.

क्या था पूरा मामला?

पूरा मामला बिहार के नवादा जिले का है. बीते पांच दिसंबर को 35 वर्षीय कपड़ा व्यापारी अतहर हुसैन की मॉब लिंचिंग की गई. लिंचिंग से गंभीर रूप से घायल अतहर हुसैन ने बीती रात यानी कि 12 दिसबंर को इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. पिछले एक हफ्ते से जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे अतहर की आखिरकार मौत हो गई.

नाम पूछने के बाद किया हमला

मौत से पहले अतहर हुसैन का दिया हुआ एक बयान सामने आया है. उन्होंने अपने बयान में बताया था कि वह डुमरी गांव से लौट रहे थे, तभी भट्टा गांव के पास नशे की हालत में मौजूद 6 से 7 युवकों ने उन्हें रोक लिया. आरोपियों ने उनसे नाम पूछा और जैसे ही उन्होंने अपना नाम “मोहम्मद अतहर हुसैन” बताया, भीड़ ने उन पर हमला कर दिया.

पेट्रोल डाला, गर्म रॉड से दागा, उंगलियां तोड़ी

अतहर ने ये भी बताया था कि हमलावरों ने उन्हें बेरहमी से पीटा, उनके सारे पैसे भी छीन लिए. धर्म चेक करने के लिए उन हमलावरों ने उनके निजी अंगों की तलाशी भी ली. इसके बाद और ज्यादा संख्या में पहुंची भीड़ उन्हें जबरन घसीटते हुए कमरे में ले गई. कमरे में ले जाने के बाद उनके शरीर पर पेट्रोल डाला गया और गर्म लोहे की रॉड से उनके हाथ, पैर और उंगलियों को दागा गया. हमलावरों ने उनकी उंगलियां तोड़ दीं साथ ही पिलास से कान काटने की भी कोशिश की.

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