सुप्रीम कोर्ट को तारीख पे तारीख कोर्ट नहीं बनने दे सकते: जस्टिस चंद्रचूड़

नई दिल्‍ली: उच्चतम न्यायालय में जजों की एक पीठ ने उस वक्त नाराजगी जतायी जब वकील ने एक मामले पर बहस करने के लिए समय मांगा और कहा कि उसने स्थगन के लिए एक पत्र दिया है. जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने वकीलों के बार-बार स्थगन के अनुरोध पर कहा, “हम नहीं चाहते कि उच्चतम न्यायालय ‘तारीख पे तारीख’ वाली अदालत बने. इसलिए हम सुनवाई को स्थगित नहीं करेंगे. अधिक से अधिक, हम सुनवाई टाल सकते हैं, लेकिन आपको इस मामले पर बहस करनी होगी. हम उच्चतम न्यायालय में ‘तारीख पे तारीख’ वाली अदालत बनने की इस धारणा को बदलना चाहते हैं.”

ईटीवी भारत की खबर के अनुसार, जस्टिस चंद्रचूड़ ने ‘दामिनी’ फिल्म के एक चर्चित संवाद को दोहराते हुए दीवानी अपील में एक हिंदू पुजारी की ओर से पेश वकील से कहा कि यह शीर्ष अदालत है और हम चाहते हैं कि इस अदालत की प्रतिष्ठा बनी रहे. ‘दामिनी’ फिल्म में अभिनेता सनी देओल ने मामले में लगातार स्थगन और नई तारीख दिए जाने पर आक्रोश प्रकट करते हुए ‘तारीख पे तारीख, वाली बात कही थी.

पीठ ने कहा कि जहां न्यायाधीश मामले की फाइल को ध्यान से पढ़कर अगले दिन की सुनवाई की तैयारी करते हुए आधी रात तक तैयारी करते हैं. वहीं, वकील आते हैं और स्थगन की मांग करते हैं. पीठ ने सुनवाई रोक दी और बाद में, जब बहस करने वाले वकील मामले में पेश हुए, तो पीठ ने अपील में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और पुजारी को उच्च न्यायालय का रुख करने के लिए कहा.

एक अन्य मामले में, जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक वकील के खिलाफ हाईकोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी को यह कहते हुए हटाने से इनकार कर दिया कि उच्च न्यायालय को अदालत कक्ष में अनुशासन बनाए रखना होता है. शीर्ष अदालत के लिए उनके गैर पेशेवर आचरण पर उन टिप्पणियों को हटाना उचित नहीं होगा.

संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर करने पर पीठ नाराज हो गई और कहा कि इस याचिका में मांगी गई राहत नहीं दी जा सकती. अनुच्छेद 32 मौलिक अधिकारों को लागू कराने के लिए शीर्ष अदालत जाने के अधिकार से संबंधित है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘इस तरह के तुच्छ मुकदमों के कारण उच्चतम न्यायालय निष्प्रभावी होता जा रहा है. अब समय आ गया है कि हम एक कड़ा संदेश दें अन्यथा चीजें मुश्किल हो जाएंगी. इस तरह की याचिकाओं पर खर्च किए गए हर 5 से 10 मिनट एक वास्तविक वादी का समय ले लेता है, जो वर्षों से न्याय का इंतजार कर रहा होता है.’

उल्लेखनीय है कि न्यायाधीश वकीलों द्वारा मांगे गए स्थगन पर आपत्ति जताते रहे हैं और वरिष्ठ वकीलों की अनुपस्थिति में युवा वकीलों से बहस करने के लिए कह रहे हैं.

न्यायाधीश ने उन्हें आश्वस्त भी किया है कि अगर वे गलती करते हैं तो अदालत का रुख उदार रहेगा. प्रधान न्यायाधीश बनने की कतार में शामिल जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस सप्ताह की शुरुआत में एक कनिष्ठ वकील से कहा था, ‘अब आप हमारे लिए वरिष्ठ वकील हैं. हम आपको दोपहर के लिए यह पदनाम देते हैं. आइए अब इस मामले पर बहस करें. हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि हम आपके साथ उदार रहेंगे.’

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