’’قُم بِاِذنِ اللہ‘‘ کہہ سکتے تھے جو رخصت ہو ئے
خانقاہوں میں مُجاور رہ گئے یا گورکَن
"क़ुम बे-इज़-निल-लाह" कह सकते थे जो रुखसत हुए
ख़ानक़ाहों में मुजावर रह गए या गोरकन
“Qum be-iznil-laah” kah sakte the jo rukhsat huye
khanqaahon mein mujawar rah...
बैअते-अक़बा प्रथम एवं द्वितीय
प्रिय दर्शको, आप सबको मेरा प्यार भरा सलाम। मेराज में नबी (सल्ल.) को यह शुभ-सूचना मिल चुकी थी कि अब तुम्हें हिजरत करनी है, यानी मक्का छोड़ देना है। ताइफ़ मक्का से बहुत क़रीब था। लेकिन...
الفاظ و معانی میں تفاوت نہیں لیکن
مُلّا کی اذان اور، مجاہد کی اذاں اور
अल्फ़ाज़ व माने में तफावत नहीं लेकिन
मुल्ला की अज़ान और मुजाहिद की अज़ान और
Alfaaz w maane mein tafawut nahi lekin
mulla ki azaan aur mujahid ki...
मेराज का सफ़र-2
प्रिय दर्शको,
पिछले एपिसोड में आपने मेराज के सफ़र के बारे में कुछ बुनियादी बातें सुनी थीं, आज उसी का शेष भाग आपकी सेवा में प्रस्तुत किया जा रहा है।
मेराज का वाकिया, मुस्लिम समुदाय के उत्थान के समय...
मेराज का सफ़र-1
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
(अल्लाह दयावान, कृपाशील के नाम से)
प्रिय दर्शको,
आज आप ‘मेराज का सफ़र’ के विषय पर मेरी कुछ बातें सुनेंगे। अल्लाह तआला की यह रीति है कि वह अपने पैग़म्बरों की मदद करता है और उन्हें और अपने दूसरे...
نہیں تیرا نشیمن قصرِ سلطانی کے گنبد پر!
تو شاہیں ہے بسیرا کر پہاڑوں کی چٹانوںمیں
नहीं तेरा नशेमन क़स्रे सुल्तानी के गुंबद पर!
तू शाहीन है बसेरा कर पहाड़ों की चट्टानों में
Nahi tera nasheman qasr-e-sultani ke gunbad per!
tu shaheen hai basera...
नबी (सल्ल.) मुतइम-बिन-अदी की पनाह में
प्रिय दर्शको, ताइफ़ में नबी (सल्ल.) को जिस अपमान और उपेक्षा को सहन करना पड़ा उसके बाद मक्का में आप (सल्ल.) की पोज़िशन काफ़ी ख़राब हो गई। मक्का के सरदार और धनाढ़्य लोग इसपर...
عقابی روح جب بیدار ہوتی ہے جوانوں میں
نظر آتی ہے اس کو اپنی منزل آسمانوں میں
उक़ाबी रूह जब बेदार होती है जवानो में
नज़र आती है उस को अपनी मंज़िल आसमानों में
Uqaabi rooh jab bedaar hoti hai jawaano mein
nazar aati...
ईसाई ग़ुलाम अद्दास का इस्लाम स्वीकार करना
प्रिय दर्शको, आप सबको मेरा प्यार भरा सलाम।
नबी (सल्ल.) के मक्का में रहते हुए यह आख़िरी साल था। मक्का के सरदारों और धनाढ्य लोगों को दिलों पर मानो मुहर लग गई थी। उन्हें...
अल्लाह के रसूल (सल्ल.) मुश्किलों के घेरे में
प्रिय दर्शको, आप सबको मेरा प्यार भरा सलाम। हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) जो सारे संसार के लिए सर्वथा दयालुता बनाकर भेजे गए थे, उन्हें मक्का में भी और मक्का के बाद मदीना में...