पश्चिम बंगाल सरकार के लगातार दबाव के बाद केंद्र सरकार सुनाली खातून (Sunali Khatun) और उनके आठ साल के बेटे को बांग्लादेश से वापस लाने के लिए सहमत हो गई है. केंद्र सरकार ने आज यानी कि बुधवार, 3 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया कि वो मां और बेटे को “मानवीय आधार” पर वापस लाने के लिए तैयार है. कुछ महीने पहले भारतीय अधिकारियों ने उन्हें अवैध प्रवासी बताते हुए मनमाने ढंग से बांग्लादेश भेज दिया था.
बंदूक की नोक पर गर्भवती महिला को भेजा था बांग्लादेश
बता दें कि भारतीय सेना ने बीते 26 जून को सुनाली खातून, उनके पति दानिश शेख और उनके आठ साल के बेटे को नई दिल्ली से हिरासत में लेने के बाद एक और परिवार के साथ बंदूक की नोक पर बांग्लादेश भेज दिया था. इसके साथ गर्भवती मां को उनकी चार साल की बेटी से अलग कर दिया गया था, और उसे भारत में ही छोड़ दिया था.
TMC सांसद ने कहा- ‘न्याय की जीत हुई’
तृणमूल कांग्रेस के सांसद समीरुल इस्लाम ने कहा कि लंबे इंतजार के बाद आखिरकार न्याय की जीत हुई है. उन्होंने आगे कहा कि उन्हें सिर्फ बंगाली बोलने की वजह से गैर-कानूनी तरीके से बांग्लादेश भेज दिया गया था. बॉर्डर पार उनकी तकलीफ इस बात का साफ उदाहरण है कि BJP को बांग्ला- विरोधी जमींदार क्यों कहा जाता है.
After a long wait, justice has finally prevailed. The Central Government has agreed, on humanitarian grounds, to bring back pregnant Sunali Khatun and her minor son.
She was illegally deported to Bangladesh merely for speaking Bengali, and her ordeal across the border stands as… pic.twitter.com/N9Z2TGLnLO
— Samirul Islam (@SamirulAITC) December 3, 2025
केंद्र सरकार ने कोर्ट में क्या कहा?
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच को बताया कि केंद्र सरकार भेजे गए दो लोगों को वापस लाने के लिए तैयार है. कोर्ट की ये बेंच केंद्र सरकार की उस अर्जी पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें डिपोर्टेशन को रद्द कर दिया गया था. कोर्ट ने कहा था कि अधिकारियों ने “जल्दबाजी” में काम किया और संवैधानिक सुरक्षा उपायों का उल्लंघन किया.
कोर्ट ने उठाए गंभीर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने उसकी राष्ट्रीयता पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर सुनाली के पिता भारतीय नागरिक हैं और उन्हें कभी निर्वासित नहीं किया गया है, तो सुनाली को बांग्लादेशी कहने का कोई आधार नहीं है. अदालत ने आगे कहा कि भारतीय कानून के तहत, क्योंकि उसके पिता भारतीय हैं, इसलिए सुनाली अपने आप भारतीय नागरिक है, और इसलिए उसका बेटा भी भारतीय नागरिक है.

