नयी दिल्ली: गुजरात सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि बिल्कीस बानो सामूहिक दुष्कर्म मामले में 11 दोषियों को माफी देने के लिए केंद्र सरकार से मंजूरी ली गयी थी।
उसने कहा कि इस क्षमादान को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता कुछ नहीं बल्कि ‘‘दूसरों के काम में अड़ंगा डालने वाले’’ हैं और ‘‘इनका इससे कुछ लेना-देना नहीं है।’’
गुजरात सरकार ने कहा कि चूंकि इस मामले में जांच सीबीआई ने की थी तो उसने केंद्र से दोषियों को माफी देने की मंजूरी देने के लिए ‘‘उचित आदेश’’ ले लिए थे।
राज्य सरकार ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता सुभासिनी अली, स्वतंत्र पत्रकार रेवती लाउल और लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रूप रेखा वर्मा की जनहित याचिका पर अपना जवाब दाखिल किया।
गुजरात सरकार के गृह विभाग में अवर सचिव मयूरसिंह मेतुभा वाघेला द्वारा दाखिल हलफनामे में कहा गया है, ‘‘मैं सम्मानपूर्वक यह बताता हूं कि जिन परिस्थितियों में यह याचिका दायर की गयी है, उसका अवलोकन करने में यह पाया गया है कि याचिकाकर्ता पीड़ित व्यक्ति नहीं है बल्कि एक अजनबी है।’’
गौरतलब है कि 21 वर्षीय बिल्कीस बानो से गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद हुए दंगों के दौरान सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और उसकी तीन साल की बेटी समेत परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गयी थी। घटना के वक्त वह पांच महीने की गर्भवती थी।
(इनपुट पीटीआई-भाषा)