‘फिलिस्तीन के हालात पर दुनिया की खामोशी इंसानियत की हार है…’- नासिरा शर्मा

20 जुलाई, 2024 (शनिवार)

नई दिल्ली। इजरायल-फिलिस्तीन का विवाद मूल रूप से धार्मिक नहीं बल्कि राजनीतिक मसला है। वर्तमान में फिलिस्तीन में बच्चों की इतनी बुरी हालत पर भी दुनिया का खामोश रहना इंसानियत की हार है। ऐसे समय में इस मुद्दे पर एक किताब का आना बेहद सामयिक और जरूरी हस्तक्षेप है। यह बातें शनिवार शाम को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (ऐनेक्सी) में नासिरा शर्मा की किताब ‘फिलीस्तीन : एक नया कर्बला’ के लोकार्पण और परिचर्चा के दौरान वक्ताओं ने कही।

इस मौके पर पश्चिमी एशियाई मामलों के विशेषज्ञ प्रो. ए. के. रामाकृष्णन, रक्षा मामलों के विशेषज्ञ-पत्रकार क़मर आग़ा और लेखक नासिरा शर्मा बतौर वक्ता मौजूद रहे। वहीं प्रसिद्ध रंगकर्मी और कवि अशोक तिवारी ने किताब के कुछ चुनिंदा अंशों का पाठ किया।

‘फिलीस्तीन : एक नया कर्बला’ किताब पर बोलते हुए प्रो. ए. के. रामाकृष्णन ने कहा, “इस किताब में लेखक ने ऐतिहासिक और समसामयिक दोनों आधारों पर बहुत ही गहन विचार करके समाधानपरक लेख लिखे हैं। उन्होंने इस किताब के जरिए हमें फिलिस्तीन के वर्तमान हालात पर एक दृष्टिकोण दिया है। यह बेहद सामयिक और जरूरी हस्तक्षेप है। साथ ही यह एक राजनीतिक हस्तक्षेप भी है क्योंकि यह किताब हमें एक्शन के लिए प्रेरित करती है। लेखक ने इस किताब को हमारे सामने लाकर अपने हिस्से का योगदान किया है और हमें भी अपने हिस्से काम करने के लिए प्रेरित किया है।”

आगे उन्होंने कहा, “हमारी आज़ादी की लड़ाई के नेताओं ने भी फिलिस्तीन से जुड़ाव दिखाया था क्योंकि जिस समय भारत में बिट्रिश उपनिवेशवाद के विरूद्ध संघर्ष चल रहा था उस समय फिलिस्तीन भी उससे पीड़ित था। मुझे उम्मीद है कि यह किताब एक नई खिड़की खोलेगी। यह किताब सभी के लिए पठनीय है लेकिन विशेष रूप से यह उन युवाओं के लिए उपयोगी है जो इजरायल-फिलिस्तीन के मसले और समझना और उस पर काम करना चाहते हैं।”

अगले वक्ता क़मर आग़ा ने कहा, “इजरायल-फिलिस्तीन का विवाद मूल रूप से धार्मिक नहीं बल्कि राजनीतिक मसला है। इस समय फिलिस्तीन के हालात यह है कि वहाँ के लोगों को इंसान समझा ही नहीं जा रहा है। उन्हें जानवरों की तरह मारा जा रहा है।”

आगे उन्होंने कहा, “ऐसा नहीं है कि सभी यहूदी फिलिस्तीनी नागरिकों से दुश्मनी का व्यवहार करते हैं। आज भी यहूदियों का एक बड़ा तबका ऐसा है जो इस हिंसा के पूरी तरह से खिलाफ है।”

फिलिस्तीन के वर्तमान हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए नासिरा शर्मा ने कहा, “फिलिस्तीनी जनता पर जुल्म और अत्याचार पहले भी मैंने अपनी आंखों से देखे हैं लेकिन जो अब हो रहा है, उतना बर्बर जनसंहार पहले कभी नहीं हुआ। जिस तरह से फिलिस्तीन में बच्चों और किशोरों को निशाना बनाया जा रहा है और उनकी जो हालत हुई है, उतनी बुरी हालत पूरी दुनिया में पहले कभी नहीं हुई। इस पर भी पूरी दुनिया जिस तरह से खामोश है, उसे देखकर लगता है कि यह सिर्फ फिलिस्तीन की नहीं, बल्कि इंसानियत की हार है।”

वहीं इस किताब की प्रेरणा के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “जब फिलिस्तीन पर हमला हुआ तो मेरे अंदर का पत्रकार बेचैन हो उठा। मुझे लगा कि मैं इस पर अभी काम नहीं तो कब करूँगी? यह किताब उसी बेचैनी का नतीजा है।”

किताब के बारे में :
लोकभारती प्रकाशन से प्रकाशित ‘फिलीस्तीन : एक नया कर्बला’ किताब में इज़रायल और फ़िलिस्तीन समस्या का एक सम्पूर्ण अध्ययन है, जिसमें इसके राजनीतिक, सामाजिक, साहित्यिक और भावनात्मक पहलुओं को बारीक़ी से समझा जा सकता है। इसमें अनेक ऐसी कहानियां, कविताएं, साहित्यिक-राजनीतिक आलेख, साक्षात्कार और टिप्पिणयाँ संकलित है जो इज़रायल-फ़िलिस्तीन संघर्ष और उसकी सामाजिक-मानवीय परिणतियों का एक ख़ाका प्रस्तुत करती है। फ़िलिस्तीन और इज़रायल की राजनीति, समाज और साहित्य पर केन्द्रित पुस्तक के तीन अलग-अलग खंडों में हम यहूदियों और अरब फ़िलिस्तीनियों, दोनों के हालात को सम्पूर्णता में समझ सकते हैं। चौथे खंड में नासिरा जी ने अपनी वे रचनात्मक और विश्लेषणात्मक चीज़ें यहाँ प्रस्तुत की हैं जिनसे इन दोनों क़ौमों से सम्बन्धित हर जिज्ञासा का समाधान हो जाता है।

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