Jamiat Ulama-i-Hind On 2006 Mumbai train blasts case: बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2006 में हुए मुंबई लोकल ट्रेन सीरियल ब्लास्ट मामले में लगभग 18 साल बाद सभी 12 मुस्लिम आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया. इस पर जमीयत उलेमा ए हिंद ने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस की राज्य और केंद्र सरकार के नेताओं को मुसलमानों से माफी मांगनी चाहिए.
‘सिस्टम और जांच एजेंसियों की गलती’
जमीयत उलमा-ए-हिंद कानूनी सलाहकार सैयद काब रशीदी ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि उनकी गलत और असंवैधानिक नीतियों की वजह से 12 मुसलमानों को 19 साल तक जुल्म सहना पड़ा. इसको कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. यह सिस्टम और जांच एजेंसियों की विफलता है.
सैयद काब रशीदी ने आगे कहा कि सच्चा इंसाफ तभी मिलेगा, जब इन बेकसूर लोगों को फंसाने वाले जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह नहीं ठहराया जाएगा.
सैयद काब रशीदी ने आगे कहा
उन्होंने कहा कि यह आजाद भारत यह बहुत बड़ी घटना है. 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन बम धमाके में करीब 190 लोगों की जान चली गई थी. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी जिसने भारत की नींव हिला दी थी.
मुसलमानों को कोर्ट ने बाइज्जत किया बरी
सैयद काब रशीदी ने आगे कहा कि उस वक्त मुसलमानों के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई की गई थी. बारह लोगों को उम्रकैद और फांसी की सजा सुनाई गई थी. अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन 12 लोगों को बाइज्जत बरी कर दिया. हाईकोर्ट के इस फैसले ने सरकार और जांच एजेंसियों पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है कि उन्होंने किस आधार पर मुस्लिम नौजवानों को धार्मिक आधार पर गिरफ्तार करके पूरे देश के अंदर मुसलमानों के खिलाफ एक अभियान चलाया.
Moradabad, Uttar Pradesh: On the Bombay High Court verdict in the 2006 train blast case, Syed Kaab Rashidi, legal advisor to the Uttar Pradesh Jamiat Ulama-i-Hind, says, “This is a significant moment in independent India’s history. In the 2006 Mumbai local train bomb blasts,… pic.twitter.com/1eejnU75eE
— IANS (@ians_india) July 22, 2025
2006 में हुआ था ब्लास्ट
11 जुलाई 2006 को मुंबई वेस्टर्न रेलवे की सात लोकल ट्रेनों में मात्र 11 मिनट के अंदर पर बम बलास्ट हुए थे. इसमें सीरियल बम बलास्ट में 189 लोगों की जान चली गई थी, जबकि 827 से अधिक यात्री घायल हुए थे. विस्फोट माटुंगा, माहिम, बांद्रा, खार, जोगेश्वरी, भोईंदर और मिरा रोड में हुए थे.
इस घटना के बाद महाराष्ट्र एटीएस ने कुल 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जबकि 15 अन्य को फरार घोषित किया गया था. इसके बाद जांच एजेंसी ने महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया था.