देवबंद: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में मौजूद दारुल उलूम देवबंद अपनी दीनी तालीम के लिए मशहूर है. दारुल उलूम देवबंद में अब औरतें भी जा सकेंगी. इसी साल 17 मई 2024 में दारुल उलूम में औरतों के जाने पर रोक लगा दी गई थी. यह रोक इसलिए लगाई गई थी क्योंकि औरतें अंदर जाकर वीडियो और रील बनाती थीं. इसके बाद दारुल उलूम की प्रबंध समिति ने औरतों की एंट्री पर रोक लगा दी थी. दारुल उलूम के प्रवक्ता अशरफ उस्मानी ने बताया कि संस्था में औरतों की एंट्री अब नवंबर माह से शुरू हो जाएगी, लेकिन इसके लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं.
दारुल उलूम में औरतों की एंट्री से जुड़े मामले को सलाहकार परिषद (मजलिस-ए-शूरा) के पास विचार के लिए भेजा गया है. सलाहकार परिषद ने औरतों को दारुल उलूम में एंट्री की इजाजत दे दी है, लेकिन दारूल उलूम में औरतों को एंट्री करने के लिए कुछ नियम कायदों का पालन करना होगा. औरतों को पर्दे का पालन करना होगा और एंट्री कार्ड के जरिए ही जाना होगा. इसके बाद औरतें यहां घूम सकेंगी. इस दौरान वीडियोग्राफी और रील पर पूरी तरह पाबंदी रहेगी.
मुफ़्ती असद कासमी ने इस फैसले के बारे में बताया कि दारुल उलूम देवबंद का औरतों की एंट्री को लेकर फैसला आया है. औरतों की एंट्री के लिए पास जारी किया जाएगा. यह बहुत अच्छी बात है. यह होना भी चाहिए. कोई भी संस्था हो, कोई भी इदारा हो या कोई भी यूनिवर्सिटी हो उसके अपने कानून होते हैं. देवबंद दारुल उलूम के भी कुछ कानून हैं. इसको लेकर देवबंद दारुल उलूम ने एक एंट्री पास जारी किया है.
महिलाओं को लेकर आमतौर पर देखा गया है कि कुछ औरतें ऐसी पाई गईं जो उसके अंदर जाकर खुराफात करती थीं और रील बनाती थीं. जाहिर सी बात है अब एंट्री होगी, तो पता लगेगा कौन है कहां से है? यह कानून जिसमें एंट्री पास जारी किया जाएगा, अगर कोई घूमने के लिए और देखने के लिए दारुल उलूम आता है तो अच्छी बात है. लेकिन अगर कोई रील बनाता है तो उसकी पकड़ होगी. दारुल उलूम का यह फैसला काबिले तारीफ है और स्वागत योग्य है.