दिल्ली-एनसीआर में बढ़ी धुंध की मार, वायु गुणवत्ता बिगड़ी

नई दिल्ली: दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अन्य हिस्सों में बुधवार सुबह धुंध की घनी चादर छाई रही, जिससे दृश्यता कम हो गयी और हवा की गुणवत्ता खराब हो गई.

राष्ट्रीय राजधानी में हवा की गुणवत्ता की श्रेणी बहुत खराब बनी हुई है, सुबह 08 बजे तक एक्यूआई 361 तक पहुंच गया.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में एक्यूआई 400 का आंकड़ा पार करते हुए गंभीर स्तर तक पहुंच सकता है. आनंद विहार स्टेशन पर एक्यूआई 399 दर्ज किया गया, बवाना का एक्यूआई 390 दर्ज किया गया, सोनिया विहार का एक्यूआई 388 तक पहुंच गया, पंजाबी बाग का एक्यूआई 382 दर्ज किया गया, और रोहिणी का एक्यूआई 376 दर्ज किया गया.

मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने भविष्यवाणी किया है कि दिल्ली और एनसीआर में पूरे सप्ताह रात और सुबह के दौरान धुंध और हल्का कोहरा रहने का अनुमान है.

वहीं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार दिल्ली में सुबह के समय धुंध की चादर छाई है और शहर में वायु गुणवत्ता (Air quality) ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी हुई है. इसके अलावा, पंजाब के लुधियाना और बठिंडा में रात के समय धुंध की चादर देखी गई.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, असम के कुछ इलाकों में भी सुबह-सुबह धुंध का एहसास लोगों को हुआ. इसके अलावा, बिहार में भी गांव से लेकर शहरों तक सुबह के समय कोहरा छाया हुआ था. उत्तर प्रदेश और अन्य मैदानी राज्यों में भी सुबह के समय कोहरा छाया रहा.

दरअसल, दिवाली की रात कई जगहों पर पीएम 2.5 का स्तर 900 तक पहुंच गया था. यह बेहद ही चौंका देने वाला आंकड़ा था. आतिशबाजी की वजह से राजधानी में दिवाली के बाद दूसरे दिन भी प्रदूषण खतरनाक श्रेणी में रहा था. अशोक विहार में पीएम 2.5 का लेवल 1450 के पार पहुंच गया था. जो स्वास्थ्य के लिए बहुत नुकसानदेह माना जाता है. आनंद विहार का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) (PM10) 419 दर्ज किया गया था, जबकि अधिकतम 500 था. राष्ट्रीय राजधानी में दिवाली की रात AQI 330 दर्ज किया गया. अगले दिन 24 घंटे का औसत AQI 339 था. दिवाली के एक सप्ताह बाद 38 में से 13 प्रदूषण निगरानी स्टेशन ने 400 से ऊपर रीडिंग रिकॉर्ड की. ये गंभीर श्रेणी में है.

दिल्ली में प्रदूषण के क्या कारण हैं?

  1. हर साल हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने की वजह से बड़ी मात्रा में धुआं दिल्ली की ओर बहता है. यह दिल्ली-एनसीआर के वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) पर बुरा असर डालता है. इस सीजन में पराली जलाना शुरू होने से वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ा है.
  2. सर्दियों में तापमान कम हो जाता है, जिससे हवा ठंडी और स्थिर हो जाती है. इसके कारण प्रदूषक कण ऊपर नहीं उठ पाते और वातावरण में ही बने रहते हैं, जिससे स्मॉग और प्रदूषण की स्थिति खराब हो जाती है.
  3. दिल्ली-एनसीआर में वाहनों की संख्या बहुत ज्यादा है, जिससे भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और अन्य प्रदूषक गैसें निकलती हैं. उद्योग और निर्माण कार्य भी प्रदूषण में योगदान करते हैं.
  4. निर्माण कार्यों और कंस्ट्रक्शन साइट्स से निकलने वाली धूल भी वायु प्रदूषण को बढ़ाने का काम करती है. इसके अलावा बिजली संयंत्रों और उद्योगों से निकलने वाले धुएं का भी असर है.
  5. ठंड के मौसम में हवा का प्रवाह धीमा हो जाता है, जिससे प्रदूषण का फैलाव कम हो जाता है और प्रदूषक अधिक समय तक वातावरण में ही बने रहते हैं.

उल्लेखनीय है कि वायु गुणवत्ता सूचकांक 0 और 50 के बीच अच्छा, 51 और 100 के बीच संतोषजनक, 101 और 200 के बीच मध्यम, 201 और 300 के बीच खराब और 301 और 400 के बीच बहुत खराब माना जाता है, जबकि 401 और 450 के बीच गंभीर माना जाता है.

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