नई दिल्ली: दिल्ली की साकेत अदालत ने मंगलवार को कुंवर महेंद्र ध्वज प्रताप सिंह द्वारा दायर हस्तक्षेप आवेदन (आईए) पर आदेश सुरक्षित रखा. अपील में कुतुब मीनार भूमि पर स्वामित्व अधिकारों का दावा किया है. साथ ही कुतुब मीनार परिसर में हिंदुओं और जैनियों के लिए पूजा के अधिकार की मांग की गई है.
आवाज़ द वॉयस की खबर के मुताबिक, इस मामले में ध्वज प्रताप सिंह ने आगरा के संयुक्त प्रांत के उत्तराधिकारी होने का दावा किया है. कहा कि कुतुब मीनार की संपत्ति उनके पास है, इसलिए कुव्वतुल इस्लाम मस्जिद के साथ मीनार वाली उन्हें दी जानी चाहिए. मंगलवार को कहा गया कि 1947 के बाद सरकार ने उसकी संपत्ति पर कब्जा कर लिया. उसके पास प्रिवी काउंसिल के रिकॉर्ड हैं.
हिंदू पक्ष की ओर से पेश अधिवक्ता अमिता सचदेवा ने कहा कि हस्तक्षेपकर्ता 102 साल बाद संपत्ति के अधिकारों का दावा कर रहा है. कोर्ट से किसी भी तरह की राहत में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है. यह याचिका एक पब्लिसिटी स्टंट से ज्यादा कुछ नहीं है और इसे भारी कीमत के साथ खारिज किया जाना चाहिए.
एएसआई ने अपने ताजा हलफनामे में पहले ही प्रस्तुत किया कि आवेदक का दावा है कि दिल्ली और उसके आसपास के शहरों पर उसका अधिकार है, पर आजादी के बाद से क्यों नहीं उठाया गया? इसके अलावा, आवेदक के स्वामित्व का दावा और उसकी संपत्ति में हस्तक्षेप की रोकथाम का अधिकार मामले के सिद्धांत द्वारा देरी और लापरवाही के लिए समाप्त हो गया है.
अतिरिक्त जिला न्यायाधीश दिनेश कुमार ने मंगलवार को कुंवर ध्वज द्वारा पेश किए गए आईए पर आदेश सुरक्षित रखा और इस संबंध में आदेश की घोषणा के लिए 17 सितंबर की तारीख तय की है.