Film Udaipur Files Controversy: विवादित फिल्म उदयपुर फाइल्स (Udaipur Files) पर दिल्ली हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है. यह फिल्म आज यानी कि शुक्रवार, 11 जुलाई को रिलीज होने वाली थी. फिल्म के रिलाज पर हाई कोर्ट ने तब तक रोक लगा दी है, जब तक केंद्र सरकार फिल्म के कंटेंट पर कोई फैसला नहीं लेती है. बता दें कि जमीयत उलमा-ए-हिंद ने फिल्म उदयपुर फाइल्स की रिलीज के खिलाफ याचिका दायर की थी.
दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डी. के. उपाध्याय और जस्टिस अनीश दयाल की बेंच ने केंद्र सरकार को फिल्म की जांच के लिए सिनेमैटोग्राफ अधिनियम के सैक्शन- 6 के अपनी पुनरीक्षण शक्तियों को प्रयोग करने का आदेश दिया.
कोर्ट ने आगे कहा…
इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को दो दिन के अंदर केंद्र सरकार से संपर्क करने का आदेश दिया. साथ ही केंद्र सरकार को को सात दिन में फैसला लेने को कहा है.
‘पूरी फिल्म मुस्लिम समुदाय के खिलाफ’
वहीं याचिकाकर्ता जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई के दौरान कहा कि मैंने फिल्म देखी है और पूरी फिल्म मुस्लिम समुदाय के खिलाफ है.
मौलाना अरशद मदनी ने कहा
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि उदयपुर फाइल्स (Udaipur Files) फिल्म की स्क्रीनिंग पर स्टे और अदालत के अन्य आदेशों ने संविधान की सर्वोच्चता को मजबूत किया है. यह एक स्पष्ट संदेश भी देता है कि कला और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर कोई भी व्यक्ति संवैधानिक और नैतिक सीमाओं का उल्लंघन नहीं कर सकता है.
‘इंशाल्लाह अंतिम फैसला भी हमारे पक्ष में ही होगा’
मौलाना अरशद मदनी ने आगे कहा कि हाल के वर्षों में कुछ और आपत्तिजनक फिल्में भी बनी हैं, लेकिन वे इतनी घिनौनी नहीं थीं. इस फिल्म में एक हत्या की घटना की आड़ में एक पूरे समुदाय को इस तरह कठघरे में खड़ा किया गया है मानो वे अपराधी हों. इसीलिए हमने इस मामले को अदालत में ले जाने का फैसला किया. हमें खुशी है कि हमारी कोशिशें कामयाब रहीं, और हमें पूरा विश्वास है कि इंशाल्लाह अंतिम फैसला भी हमारे पक्ष में ही होगा. यह फैसला सिर्फ फिल्म पर रोक नहीं है, बल्कि सांप्रदायिक तत्वों के इरादों और एजेंडे पर एक रोक है.