दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा मामले में यूएपीए के तहत दर्ज मामले की आरोपी और कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां को जमानत दे दी है. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने जमानत देने का आदेश दिया.
जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने इशरत जहां की नयी जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि इशरत जहां दूसरे आरोपियों के संपर्क में थी और इसका मकसद दंगे की साजिश को अंजाम देना था. अमित प्रसाद ने कहा कि इशरत जहां ने नताशा नरवाल के साथ साजिश रची जिसका खुरेजी इलाके से कोई संबंध नहीं था.
अमित प्रसाद ने कहा कि इशरत जहां का न तो जेएनयू से संबंध था और न ही दिल्ली यूनिवर्सिटी से. ऐसे में उसका दूसरे आरोपियों से संपर्क केवल हिंसा को अंजाम देने के लिए था.
ईटीवी भारत खबर के अनुसार, इशरत जहां ने अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 437 के तहत नयी जमानत याचिका दायर की थी. इसके पहले 29 सितंबर 2021 को इशरत जहां अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 439 के तहत दायर याचिका वापस ले चुकी है. सुनवाई के दौरान इशरत जहां की ओर से वकील जीतेंद्र बख्शी ने कहा कि वे अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 439 के तहत दायर याचिका को वापस ले रहे हैं और धारा 437 के तहत नई जमानत याचिका दायर करेंगे. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने इशरत जहां को याचिका वापस लेने और नई याचिका दायर करने की अनुमति दी थी.
इशरत जहां को 26 फरवरी 2020 को गिरफ्तार किया गया था. इशरत जहां के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 109, 147, 148, 149, 186, 307, 332, 353 और 34 और आर्म्स एक्ट की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज किया गया है.
पुलिस के मुताबिक इशरत जहां ने भीड़ को उकसाते हुए कहा कि हम चाहें मर जाएं, लेकिन हम यहां से नहीं हटेंगे, चाहे पुलिस कुछ भी कर ले हम आजादी लेकर रहेंगे.
वहीं, दूसरी तरफ इशरत जहां का पक्ष रख रहे अधिवक्ता ने ज़मानत याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि इशरत जहां को इस मामले में साज़िश के तहत फंसाया गया है.
वहीं दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगों से संबंधित साजिश के मामले में छात्र नेता उमर खालिद की जमानत याचिका 21 मार्च तक टाल दी है.