Supreme Court On UP Government: सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी कि बुधवार, 25 जून को गाजियाबाद जेल से एक कैदी को जमानत आदेश पारित होने के बावजूद रिहा न करने पर उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ा फटकार लगाई. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को आरोपी को पांच लाख रुपए मुआवजा देने का निर्देश दिया. आईए जानते हैं पूरा मामला क्या है…
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को पांच लाख मुआवजा देने का दिया आदेश
लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार,जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस एनके सिंह की बेंच ने उत्तर प्रदेश राज्य सरकार को जमानत आदेश और रिहाई आदेश में उप-धारा की लिपिकीय चूक के कारण 28 दिनों के लिए रिहाई से वंचित किए गए आरोपी को पांच लाख रुपए अंतरिम मुआवजा देने का निर्देश दिया.
इस आरोप में किया गया था गिरफ्तार
सु्प्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि जब मामले और अपराधों का विवरण जमानत आदेश से स्पष्ट है तो “बेकार तकनीकी” और “अप्रासंगिक त्रुटियों” के आधार पर व्यक्तिगत स्वतंत्रता से इनकार नहीं किया जा सकता. सूत्रों के मुताबिक, आफताब को एंटी कनवर्जन के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उस पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 366 और यूपी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम 2021 की धारा 3/5(i) की धारा लगाई गई थी.
कोर्ट ने दी चेतावनी
जस्टिस विश्वनाथन ने उत्तर प्रदेश के एडिशनल एडवोकेट जनरल को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि व्यक्तिगत स्वतंत्रता के प्रति आपका यही रवैया है तो हम मुआवजा को बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर देंगे.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को आदेश दिया कि शुक्रवार तक मुआवजे की राशि आरोपी को मिल जाने जाने चाहिए. कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई और जांच रिपोर्ट देखने के लिए 18 अगस्त की तारीख तय की है.
पूरा मामला क्या है?
बता दें कि आरोपी आफताब ने एक पिटीशन दायर करते हुए कहा था कि उसके बेल के आदेश में धारा 5(1) की जिक्र न होने की वजह से उसे जेल के अधिकारियों ने रिहा नहीं किया. इसके बाद कोर्ट ने यूपी जेल डीजी और गाजियाबाद जिला जेल के सीनियर अधीक्षक को तलब किया था.

