नई दिल्ली: देश भर की प्रमुख मस्जिदों के इमामों ने खुले में कुर्बानी नहीं करने और जानवरों की कुर्बानी की फोटो सोशल मीडिया पर नहीं डालने की नसीहत दी है.
यूएनआई रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी और अन्य राज्यों की मस्जिदों के इमामों ने शुक्रवार को एक बयान जारी करके कहा, ‘मुस्लिम समाज कोई ऐसा काम न करे जिससे पूरे मुस्लिम समाज को शर्मिंदगी उठानी पड़े. कुर्बानी सड़कों पर और खुले में न करें, प्रतिबंधित जानवर की कुर्बानी न करें जिससे किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे और देश में सद्भाव कायम रह सके.’
बयान में कहा गया, ‘बकरीद पर जहां तक मुमकिन हो कुर्बानी करने की कोशिश करनी चाहिए. लेकिन कुर्बानी के जानवर की फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर न डालें.’
उन्होंने कहा कि ‘सोशल मीडिया पर आने वाली अफवाहों पर ध्यान न दें. बकरीद के दिन कुर्बानी के बाद बचे हुए अवशेषों का सही ढंग से निस्तारण करें ताकि आसपास के क्षेत्रों में गन्दगी और बदबू न फैले. उन्होंने कहा कि किसी भी अप्रिय घटना की सूचना तुरंत नज़दीकी पुलिस को दें.’ उन्होंने समाज के बड़े बुज़ुर्ग से नौजवानों पर नज़र रखने की भी अपील की.
क़ादरी मस्जिद शास्त्री पार्क दिल्ली के इमाम मुफ्ती अशफाक हुसैन कदरी, रतलाम के सुन्नी जामा मस्जिद के मुफ्ती बिलाल निजामी, मकराना के मुफ्ती शम्सुद्दीन बरकाती, हमीरपुर के मौलाना शाहिद मिस्बाही, मौलाना बदरुद्दीन मिसबाही खतीब तथा इमाम मस्जिदे आला हज़रत निज़ामिया लखनऊ, जयपुर के मौलाना सैयद मुहम्मद कदरी, अजमेर में मौलाना अंसार फैजी, कारी हनीफ मुरादाबाद, मौलाना सखी जम्मू, मौलाना मजहर इमाम (उत्तर दीनाज पर बंगाल), मौलाना अब्दुल जलील निजामी (पीलीभीत), मौलाना समीर अहमद (रामपुर), मौलाना कारी जमाल, भागलपुर में मौलाना अबरार, नागपुर में मौलाना मुस्तफा रज और अमन शहीद जामा मस्जिद के मौलाना तनवीर अहमद और दिल्ली मुस्तफाबाद में मौलाना मुशर्रफ ने बकरीद को लेकर यह बयान जारी किया.

