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संभल: जामा मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली की मुश्किलें बढ़ी.. जेल से रिहा होने के बाद जश्न मनाने पर FIR दर्ज

जफर अली के जेल से रिहा होने की खुशी में उनके साथियों और समर्थकों ने जश्न मानया था. इसका वीडयो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था. वीडयो वायरल होने के बाद पुलिस ने जफर अली समेत अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

Sambhal News: संभल शाही जामा मस्जिद कमेटी के एडवोकेट सदर जफर अली की फिर से मुश्किलें बढ़ गई हैं. बीते दिनों जेल से रिहा होने के दौरान जफर अली के समर्थकों ने खुशी का इजहार करते हुए रोड शो किया था. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था. पुलिस ने जश्न मनाने के अंदाज को कानून का उल्लंघन बताते हुए जफर अली के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.

जश्न मनाने पर FIR दर्ज

जफर अली के जेल से रिहा होने की खुशी में उनके साथियों और समर्थकों ने जश्न मानया था. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, वीडियो वायरल होने के बाद सत्यव्रत पुलिस चौकी के दरोगा आशीष तोमर ने जफर अली और उनके वकील दोस्तों सरफराज, ताहिर और हैदर के खिलाफ BNS की धारा 223(1) के तहत केस दर्ज कराया है. वहीं इसके अलावा 60 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी है जमानत

संभल शाही जामा मस्जिद कमेटी के सदर और एडवोकेट जफर अली 1 अगस्त को जेल से रिहा हुए हैं. बीते दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जफर अली को जमानत दी थी. SIT ने जफर अली को 23 मार्च को गिरफ्तार किया था.

सर्वे के दौरान हिंसा भड़काने का आरोप’

बता दें कि संभल शाही मस्जिद कमिटी के सदर जफर अली पर मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़काने का आरोप था. पुलिस ने जफर अली पर भीड़ को भड़काकर दंगा कराने का आरोप लगाया था.

जफर अली पर इन धाराओं में केस दर्ज

जफर अली पर भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की कई धाराओं 191(2), 191(3), 190, 221, 132, 125, 324(5), 196, 223(b), और 326(F) के तहत आरोप लगाए गए. साथ ही उन पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 3 और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम, 1984 की धारा 5 के तहत भी आरोप थे.

क्या था पूरा मामला?

बता दें कि 24 नवंबर, 2024 को ASI की एक टीम शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण करने पहुंची थी. जहां हिंदूवादी संगठनों की भीड़ “जय श्री राम” सहित कई अन्य नारे लगा रही थी. इस दौरान मस्जिद के बाहर मुसलमान भी जमा थे. जहां पुलिस ने मुसलमानों को हटाने के लिए बल का इस्तेमाल किया फिर प्रदर्शन कर रहे मुस्लिमों पर गोलियां भी चलाई. पुलिस द्वारा की गई इस कार्रवाई में पांच मुसलमानों की मौत हो गई थी. पुलिस ने मुस्लिम प्रदर्शनकारियों को उल्टा “दंगाई” करार दिया और घटना के संबंध में कई मामले दर्ज किए.

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