Union Home Ministry: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार, 2 सितंबर को एक आदेश जारी करते हुए कहा कि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय लोगों को पासपोर्ट या किसी अन्य यात्रा दस्तावेज के बिना भी भारत में रहने की अनुमति दी जाएगी. आदेश में कहा गया कि इसमें वे लोग भारत में रह सकते हैं जो धार्मिक अत्याचार से बचने के लिए 31 दिसंबर, 2024 तक भारत आ गए हैं.
कानून 1 सितंबर से लागू हो गया है
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह आदेश गृह मंत्रालय द्वारा जारी कई निर्देशों में से एक है, जो हाल ही में पास हुए इमिग्रेशन और फॉरेनर्स एक्ट, 2025 से संबंधित है. यह नया कानून सोमवार, 1 सितंबर से लागू हो गया है.
इस कानून में मुसलमान शामिल नहीं
इस नए कानून में ध्यान देने वाली बात यह है कि इसमें हिंदू, सिख, बौद्ध समेत कई धर्मों को शामिल किया गया है, लेकिन मुसलमानों को इसमें शामिल नहीं किया गया है.
क्या है इस कानून में ?
बता दें कि इससे पहले पिछले साल नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू हुआ था. इसके मुताबिक, 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए इन समुदायों के लोगों को नागरिकता दी जा सकती है. इस कानून में भी मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है.
गृह मंत्रालय के नए आदेश के तहत 31 दिसंबर, 2024 तक भारत आए लोगों को भी बिना पासपोर्ट के रहने की अनुमति मिल गई है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें नागरिकता मिल जाएगी. यह सिर्फ रहने की अस्थायी अनुमति है, नागरिकता की गारंटी नहीं है.
पाकिस्तान से भारत आए हिंदुओं को राहत
भारत सरकार के इस नए आदेश से 2014 के बाद पाकिस्तान से भारत आए हिंदुओं को राहत मिली है. ये लोग अपने भविष्य को लेकर असमंजस में थे और सरकार से ज्यादा स्पष्टता की उम्मीद कर रहे थे.ये आदेश उन्हें भवले ही नागरिकता की गारंटी नहीं देता है, लेकिन भारत में रहने की कानूनी अनुमति देता है.

