जापान में भीषण भूकंप में चार लोगों की मौत, 90 से अधिक लोग घायल

उत्तरी जापान में फुकुशिमा के तट पर बुधवार शाम 7.3 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया, जिसमें चार लोगों की मौत और 90 से अधिक लोग घायल हो गए. भूकंप के चलते सुनामी की चेतावनी जारी की गई है. जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने बताया कि भूकंप का केंद्र समुद्र में 60 किलोमीटर की गहराई में था. यह क्षेत्र उत्तरी जापान का हिस्सा है, जो 2011 में नौ तीव्रता वाले विनाशकारी भूकंप और सुनामी से तबाह हो गया था. भूकंप के कारण परमाणु आपदा भी आई थी. वर्ष 2011 में आई आपदा के 11 साल पूरे होने के कुछ दिनों बाद यह भूकंप आया है.

जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा ने बृहस्पतिवार सुबह संसद के एक सत्र में कहा कि भूकंप के दौरान चार लोगों की मौत हो गई, जबकि 97 अन्य घायल हुए हैं. मौसम विज्ञान एजेंसी ने मियागी और फुकुशिमा प्रांतों के कुछ हिस्सों में एक मीटर तक समुद्री लहरें उठने की चेतावनी दी है. ‘एनएचके नेशनल टेलीविजन’ ने कहा कि कुछ इलाकों में सुनामी पहुंच चुकी है.

जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने बृहस्पतिवार तड़के फुकुशिमा और मियागी प्रांत के तटों पर सुनामी के लिए अपनी कम जोखिम वाली चेतावनी वापस ले ली है. जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने बताया कि स्थानीय समयानुसार बुधवार रात 11 बजकर 36 मिनट पर आए भूकंप का केन्द्र समुद्र में 60 किलोमीटर की गहराई में था. यह क्षेत्र उत्तरी जापान का हिस्सा है, जो 2011 में नौ तीव्रता वाले विनाशकारी भूकंप और सुनामी से तबाह हो गया था। भूकंप के कारण परमाणु आपदा भी आई थी.

भूकंप के बाद एक बुलेट ट्रेन के पटरी से उतरने के बाद तोहोकू शिंकानसेन बुलेट ट्रेन सेवा के एक हिस्से को निलंबित कर दिया गया है.

फुकुशिमा दाइची परमाणु संयंत्र का संचालन करने वाली तोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी होल्डिंग्स ने कहा कि कर्मचारी किसी भी संभावित नुकसान का पता लगा रहे हैं. पिछली त्रासदी में परमाणु संयंत्र का कूलिंग सिस्टम तथा अन्य हिस्सों को नुकसान पहुंचा था. टोक्यो समेत पूर्वी जापान में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए. फिलहाल जान माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है.

इसलिए आता है भूकंप

धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है. इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहते हैं. ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है, जिसे टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है. ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह पर हिलती रहती हैं. जब ये प्लेट बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप महसूस होता है. इस दौरान एक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे आ जाती है.

भूकंप की तीव्रता का अंदाजा केंद्र (एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है. इन तरंगों से सैकड़ों किलोमीटर तक कंपन होता है और धरती में दरारें तक पड़ जाती है. अगर भूकंप की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है, जिससे भयानक तबाही होती है, लेकिन जो भूकंप धरती की गहराई में आते हैं, उनसे सतह पर ज्यादा नुकसान नहीं होता. समुद्र में भूकंप आने पर ऊंची और तेज लहरें उठती हैं, जिसे सुनामी भी कहते हैं.

भूकंप आने पर क्या करें और क्या न करें?

भूकंप के झटके महसूस होने पर बिल्कुल भी घबराएं नहीं. सबसे पहले अगर आप किसी बिल्डिंग में मौजूद हैं तो फिर बाहर निकलकर खुले में आ जाएं. बिल्डिंग से नीचे उतरते हुए लिफ्ट से बिल्कुल नहीं जाएं. यह आपके लिए भूकंप के वक्त खतरनाक हो सकता है. वहीं, अगर बिल्डिंग से नीचे उतरना संभव नहीं हो तो फिर पास की किसी मेज, ऊंची चौकी या बेड के नीचे छिप जाएं.

(ईटीवी भारत से इनपुट के साथ)
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