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‘गाजा भूखमरी के कगार पर, दुनिया खामोश नहीं रह सकती..’ भारतीय मुस्लिम रहनुमाओं ने हुकूमत से जल्द एक्शन लेने की अपील की

प्रमुख भारतीय मुस्लिम संगठनों, धार्मिक विद्वानों और नागरिक समाज समूहों ने कहा कि कहा कि गाजा भूख से मर रहा है. समय पर कार्रवाई न करना एक ऐतिहासिक अपराध होगा.

Indian Muslim Organization On Gaza Condition: प्रमुख भारतीय मुस्लिम संगठनों, धार्मिक विद्वानों और नागरिक समाज समूहों ने आज यानी कि सोमवार, 28 जुलाई को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित किया. कांफ्रेंस में संयुक्त बयान जारी कर गाजा में गहराते मानवीय संकट पर गंभीर चिंता व्यक्त की गयी. उन्होंने भारत सरकार से इजराइल की जारी आक्रामकता को रोकने में अधिक दृढ़ और नैतिक रूप से साहसी भूमिका निभाने की अपील की.

‘गाजा भूख से मर रहा है’

मीडिया को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने गाजा की स्थिति को “अभूतपूर्व मानवीय आपदा” बताया और चेतावनी दी कि अकाल अत्यंत सन्निकट है जो विनाश का कारण बनेगा. उन्होंने कहा कि गाजा भूख से मर रहा है. समय पर कार्रवाई न करना एक ऐतिहासिक अपराध होगा.

‘गाजा के बुनियादी ढांचे नष्ट’

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मानवीय सहायता अवरुद्ध होने और गाजा के बुनियादी ढांचे के नष्ट होने के कारण 20 लाख से अधिक निवासी बड़े पैमाने पर भुखमरी, चिकित्सा प्रणालियों के पतन और अनिवार्य सेवाओं के पूर्ण अभाव का सामना कर रहे हैं. 90 फीसद से ज्यादा अस्पताल और स्वास्थ्य सेवा केंद्र बमबारी से तबाह हो चुके हैं या बंद पड़े हैं. पूरे मोहल्ले मिट गए हैं. परिवार टुकड़ों पर गुजारा कर रहे हैं. नवजात शिशु ईंधन की कमी के कारण इनक्यूबेटरों में मर रहे हैं. डॉक्टर बिना एनेस्थीसिया के सर्जरी कर रहे हैं. हर बुनियादी मानवीय व्यवस्था जैसे – स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, स्वच्छता ध्वस्त हो गई है. यह आत्मरक्षा नहीं है बल्कि लोगों का व्यवस्थित विनाश है.

वक्ताओं ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के हालिया रुख को सराहा, जिसमें उसके स्थायी प्रतिनिधि द्वारा युद्ध विराम का आह्वान किया गया है और मानवीय आपातकाल पर जोर दिया गया है. हम संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने देश के हालिया बयान का स्वागत करते हैं जिसमें एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता और तत्काल युद्धविराम के आह्वान की पुष्टि की गई है. यह एक सकारात्मक कदम है.

‘भारत सरकार वैश्विक नैतिक नेतृत्व की भूमिका निभाए’

उन्होंने आग्रह किया कि भारत सरकार चिंता व्यक्त करने से आगे बढ़कर वैश्विक नैतिक नेतृत्व की भूमिका निभाए. भारत को नागरिकों पर अंधाधुंध बमबारी, अस्पतालों और स्कूलों को निशाना बनाने और पूरी आबादी को सामूहिक दंड देने की निंदा करनी चाहिए. शब्द मायने रखते हैं, लेकिन कर्म उससे भी ज्यादा मायने रखते हैं. भारत के पास इस नरसंहार की निंदा करने और युद्ध अपराधियों को जवाबदेह ठहराने में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का नेतृत्व करने के लिए ऐतिहासिक प्रतिष्ठा और कूटनीतिक क्षमता दोनों है.

उन्होंने मानवीय गलियारों को तुरंत खोलने और भारत से इजराइल के साथ सभी सैन्य और रणनीतिक सहयोग तब तक स्थगित करने का आह्वान किया जब तक कि आक्रमण समाप्त न हो जाए. भारत को उत्पीड़ितों के साथ खड़े होने की एक गौरवशाली विरासत मिली है. हमें अब निर्णायक कार्रवाई करके उस विरासत का सम्मान करना चाहिए. जब नरसंहार हमारी आंखों के सामने हो रहा हो, तो चुप्पी और तटस्थता कोई विकल्प नहीं हैं.

‘फिलिस्तीन सिर्फ मुसलमानों की चिंता का विषय नहीं है’

वक्ताओं ने भारतीय अवाम से जागरूक और सक्रिय रहने की अपील की. फिलिस्तीन सिर्फ मुसलमानों की चिंता का विषय नहीं है. यह एक मानवीय चिंता है, सार्वभौमिक न्याय और मानवीय गरिमा का मामला है. हम छात्रों, नागरिक समाज, धार्मिक नेताओं, शिक्षाविदों और सभी जागरूक नागरिकों से आग्रह करते हैं कि वे विरोध प्रदर्शनों, जागरूकता अभियानों, अंतर्धार्मिक संवादों और विद्वत्तापूर्ण चर्चाओं के माध्यम से अपनी आवाज उठाएं. गाजा को नहीं भूलना चाहिए.

उन्होंने कुछ क्षेत्रों में ऐसी घटनाओं की रिपोर्टों पर भी चिंता व्यक्त की जहां फिलिस्तीन के साथ एकजुटता को अपराध या दमन का शिकार बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि फिलिस्तीन का समर्थन अतिवाद नहीं है. यह अंतर्राष्ट्रीय कानून, बुनियादी मानवाधिकारों और हमारे संविधान में निहित मूल्यों की रक्षा है. नागरिकों को बिना किसी भय या डर के अपनी अंतरात्मा की आवाज उठाने की आजादी होनी चाहिए.

‘मुस्लिम बहुल देशों से अपील’

वक्ताओं ने कहा कि हम मुस्लिम देशों से आग्रह करते हैं कि वे इजराइल के साथ राजनयिक और आर्थिक संबंध तोड़ लें, और इस बर्बरता को समाप्त करने की मांग करते हुए एक संयुक्त मोर्चा बनाएं.

सम्मेलन का अंत इस अपील के साथ हुआ कि गजा में तत्काल और बिना शर्त युद्ध विराम हो तथा गजा के घेराबंद नागरिकों तक भोजन, पानी, ईंधन और चिकित्सा सहायता पहुंचाने के लिए मानवीय गलियारों की तत्काल स्थापना की जाए.

प्रेस कॉन्फ्रेंस को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलमा-ए-हिंद, जमाअत-ए-इस्लामी हिंद, मरकजी जमीयत अहले हदीस, स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया और अन्य प्रमुख मुस्लिम विद्वानों के शीर्ष नेतृत्व ने संबोधित किया.

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