अमरावती: आंध्र प्रदेश सरकार ने बच्चे पैदा करने को लेकर एक बड़ा फैसला किया है. सरकार ने यह नियम खत्म कर दिया है कि दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले उम्मीदवार स्थानीय निकाय चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कहा है कि अब ज्यादा बच्चे पैदा करने की जरूरत है. सरकार ने आंध्र प्रदेश पंचायत राज (संशोधन) विधेयक, 2024 और आंध्र प्रदेश नगरपालिका कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित करते हुए यह फैसला पास किया.
ख्याल रहे कि 30 साल पहले, मई 1994 में, तत्कालीन आंध्र प्रदेश विधानसभा ने एक संशोधन विधेयक पारित किया था, जिसके तहत ग्राम पंचायतों, मंडल प्रजा परिषदों और जिला परिषदों के चुनाव लड़ने वालों के लिए 2 बच्चों का मानदंड अनिवार्य कर दिया गया था. दो से ज्यादा बच्चों वाले उम्मीदवारों को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य माना जाता था. इसका मकसद जनसंख्या पर नियंत्रण रखना था.
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू इस बात की वकालत कर रहे हैं कि परिवार नियोजन के पिछले सफल क्रियान्वयन के बाद अब वक्त आ गया है कि महिलाओं और परिवारों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए. नायडू ने तर्क दिया है कि यह एक आर्थिक अनिवार्यता है.
नायडू ने कहा कि भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए सभी को अधिक बच्चे पैदा करना अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए. नायडू ने कहा कि मैं अधिक बच्चे पैदा करने का आह्वान न केवल आपके लिए कर रहा हूं, बल्कि राष्ट्र के लिए, व्यापक भलाई के लिए कर रहा हूं. उन्होंने कहा कि हम कोई भी काम करके पैसा कमा सकते हैं, लेकिन हम तभी काम करेंगे, जब हमारे बच्चे होंगे या जनसंख्या बढ़ेगी. यूरोप, जापान और अन्य क्षेत्रों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि ये देश बुजुर्ग होती आबादी की समस्या से जूझ रहे हैं, जहां वृद्धों की संख्या बढ़ रही है और युवाओं की संख्या घट रही है. नायडू ने तर्क दिया कि दक्षिण भारत भी ऐसी ही स्थिति का सामना कर रहा है.
इस मुद्दे पर वाईएसआरसीपी के वरिष्ठ नेता जे. प्रभाकर राव ने नायडू के दृष्टिकोण के प्रभाव पर सवाल उठाया, जिसमें उन्होंने लोगों से करीब 10 साल पहले कम बच्चे पैदा करने और अब अधिक बच्चे पैदा करने के लिए कहा. राव ने कहा नायडू बारे में क्या कहा जाए. उनका एक ही बेटा है और उनके बेटे (नारा लोकेश) का भी एक ही बेटा है. वह दूरदर्शी व्यक्ति हैं. वाईएसआरसीपी नेता ने कहा कि राज्य के लोगों ने नायडू की सलाह पर ध्यान देते हुए जन्म नियंत्रण का पालन नहीं किया. उन्होंने मुख्यमंत्री को सलाह दी कि वह अपनी तुलना किसी पूर्व चीनी नेता से न करें, जिनके अतीत में ऐसे आह्वान के सफल नतीजे मिले थे. कांग्रेस की प्रदेश इकाई ने जनसंख्या बढ़ाने के नायडू के आह्वान का स्वागत किया.
आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) के उपाध्यक्ष कोलानुकोंडा शिवाजी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने दक्षिण भारत के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखते हुए ऐसा आह्वान किया है. शिवाजी ने कहा कि परिसीमन के तहत हमारे क्षेत्र (दक्षिण भारत) की संसद सीटें कम हो जाएंगी और वे उत्तरी राज्यों में जुड़ जाएंगी. इसलिए, इससे उबरने के लिए समय नहीं है. इसलिए, जब यहां की आबादी बढ़ेगी, तो हमारी सीटें हमारे पास होंगी. इस बीच, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कहा कि लोकसभा परिसीमन प्रक्रिया से कई दंपतियों के 16 (तरह की संपत्ति) बच्चों की तमिल कहावत की ओर वापस लौटने की उम्मीदें बढ़ सकती हैं, लेकिन नतीजे जो भी हों, लोगों को अपने बच्चों को तमिल नाम देना चाहिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि संसदीय परिसीमन प्रक्रिया से दंपतियों को अधिक बच्चे पैदा करने और छोटा परिवार का विचार छोड़ने के लिए प्रोत्साहन मिल सकता है. लेकिन परिणाम जो भी हों, लोग अपने बच्चों को तमिल नाम दें. उन्होंने कहा कि अतीत में बुजुर्ग नवविवाहित जोड़ों को 16 बच्चों का नहीं बल्कि 16 तरह की संपत्ति अर्जित करने और खुशहाल जीवन जीने का आशीर्वाद देते थे, जिसमें प्रसिद्धि, शिक्षा, वंश, धन आदि शामिल हैं. उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे लोग खुशहाली के लिए परिवार छोटा रखने के महत्व को समझने लगे. स्टालिन ने कहा कि उस आशीर्वाद का मतलब 16 बच्चे पैदा करना नहीं है लेकिन अब ऐसी स्थिति पैदा हो गई है जहां लोगों को लगता है कि अब उन्हें सचमुच 16 बच्चे पैदा करने चाहिए, न कि एक छोटा और खुशहाल परिवार रखना चाहिए.
विधेयकों के अनुसार, “चूंकि प्रजनन दर में गिरावट, जनसंख्या स्थिरीकरण और बदलती सामाजिक-आर्थिक स्थितियां पुरानी और प्रतिकूल साबित हुईं, इसलिए सरकार ने महसूस किया कि जनसंख्या को नियंत्रित करने के उद्देश्य से बनाए गए प्रावधानों को निरस्त करने से समावेशी शासन को बढ़ावा मिलेग