ज्ञानवापी मस्जिद मामला: सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को जारी किया नोटिस

नई दिल्ली: ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद के अंदर मौजूद सील ‘वज़ुखाना’ क्षेत्र का एएसआई (ASI) सर्वे करने के लिए ज्ञानवापी मस्जिद मैनेजमेंट कमेटी और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को निर्देश जारी किए. साथ ही जस्टिस सूर्यकांत (Justice Suryakant) और उज्ज्वल भुइयां (Ujjal Bhuyan) की बेंच ने हिन्दू पक्षों के द्वारा दायर याचिका पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है.

हिन्दू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर वकील श्याम दीवान और वकील विष्णु शंकर जैन ने बेंच को बताया कि उन्होंने सभी मुकदमों को Consolidated करने और उन्हें वाराणसी जिला अदालत से इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रान्सफर करने के लिए एक याचिका दायर किया है. हालांकि, वह एप्लिकेशन आज लिस्टेड नहीं थी.

हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने कहा, “हिंदू पक्ष द्वारा यह मामला सुप्रीम कोर्ट में ले जाया गया है. वजू खाना में शिवलिंग का अभी भी एएसआई सर्वे नहीं हुआ है. इससे यह साफ हो सके कि यह शिवलिंग है या फव्वारा. मुस्लिम पक्ष का दावा है कि यह फव्वारा है. एएसआई का सर्वे हुआ, जिसमें ज्ञानवापी के 12 तहखानों में से 8 तहखानों की एएसआई  सर्वे नहीं हो पाया. इसके साथ ही मस्जिद की मेन गुंबद के नीचे जो ज्योतिर्लिंग है, उसका भी सर्वे नहीं हो पाया है. इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई थी. इसमें मुस्लिम पक्ष को नोटिस जारी किया गया है. मुस्लिम पक्ष को साफ कहा गया है कि वह दो सप्ताह के अंदर अपना जवाब दाखिल करे. हम आशा करते हैं कि वह जल्द ही अपना जवाब दाखिल करेंगे.”

वहीं, वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, “हमने 16 मई 2022 को दावा किया था कि मस्जिद के अहाते में मौजूद “वजूखाना” में एक शिवलिंग पाया गया है. हालांकि, अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने इसका खंडन किया और कहा कि वह एक फव्वारा है. इसी को देखते हुए हमने इसका एएसआई सर्वेक्षण कराने की मांग की थी..”

वहीं, मस्जिद कमेटी की तरफ से सीनियर वकील हुज़ैफ़ा अहमदी कोर्ट के सामने पेश हुए. उन्होंने इस दौरान अदालत से कहा कि मस्जिद कमेटी द्वारा दायर याचिका को पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) एक्ट 1991 के तहत सुना जाना चाहिए. बता दें कि मस्जिद कमेटी ने ये याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ दायर की है, जिसमें 1991 एक्ट के तहत मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज कर दिया था.

अहमदी ने अदालत को यह भी बताया कि एएसआई सर्वे के लिए हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली मस्जिद कमेटी की एसएलपी भी आज लिस्टेड नहीं थी. उन्होंने अदालत से कहा कि सभी मामलों पर एक साथ फैसला लिया जाए. अदालत अब सभी मामलों को 17 दिसंबर को एक साथ रखने पर सहमत हुई है.

सुनवाई के बाद जस्टिस सूर्यकांत ने मौखिक रूप से दीवान से कहा कि वह इस पर विचार करें कि क्या मामलों को जिला न्यायालय के सामने ही Consolidated किया जा सकता है, ताकि हाईकोर्ट को अपीलीय मंच के रूप में रखा जा सके.

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