केरल (Assam) के उपराज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि हिजाब (Hijab Row) को लेकर चल रहा विवाद मुस्लिम महिलाओं को पीछे धकेलने का कोई विवाद नहीं बल्कि एक साजिश है. अब असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने भी हिजाब मामले को लेकर बयान दिया है. उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा कि हिजाब को लेकर कोई विवाद होना ही नहीं चाहिए. अगर कुरान शरीफ का अध्ययन ठीक से किया जाए तो उसमें शिक्षा पर जोर है, हिजाब पर नहीं. अब सवाल यही है कि शिक्षा जरूरी है या हिजाब. मुस्लिमों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी शिक्षा को लेकर है.
इससे पूर्व केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शनिवार को हिजाब विवाद को एक ‘साजिश’ करार दिया और कहा कि यह पसंद का मामला नहीं है, बल्कि सवाल है कि क्या कोई व्यक्ति किसी संस्थान के नियमों, ड्रेस कोड का पालन करेगा या नहीं. कर्नाटक में मुद्दे पर छिड़े विवाद के संबंध में प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने नयी दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि ‘कृपया इसे विवाद के रूप में न लें…यह एक साजिश है.’
खान ने कहा कि मुस्लिम लड़कियां हर जगह ‘बहुत अच्छा’ कर रही हैं और इसलिए उन्हें प्रोत्साहन की जरूरत है. उन्हें नीचे धकेलने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि यह (हिजाब पहनना) पसंद का सवाल नहीं है, बल्कि यह सवाल है कि अगर आप किसी संस्थान में शामिल हो रहे हैं तो क्या आप नियमों, अनुशासन और ड्रेस कोड का पालन करेंगे या नहीं.
वहीं, हिजाब विवाद पर ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि 2019 में आयरलैंड ने पुलिस वर्दी में हिजाब और पगड़ी की इजाज़त दी थी. मोदी सरकार ने फ़ैसले को प्रवासी भारतीयों के हित में बताते हुए उसका स्वागत किया था. अगर आयरलैंड के लिए ये ‘ऐतिहासिक’ था तो कर्नाटक की बच्चियों को तकलीफ क्यों दी जा रही है? उनकी dignity की धज्जियाँ क्यूँ उड़ाई जा रही हैं?.
एआईएमआईएम के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व विधायक वारिस पठान ने हिजाब विवाद पर कहा कि ‘मुझे हिजाब पहनने का मौलिक अधिकार है, जो संविधान द्वारा दिया गया है. मैं चाहता हूं कि मेरी महिलाएं हिजाब पहनें, एक हाथ में संविधान, दूसरे में कुरान और प्रधान मंत्री बनें.’
बता दें कि पिछले दिनों कर्नाटक के उडुपी में सरकारी महाविद्यालय में हिजाब पहनकर आई छात्रों को कक्षाओं में प्रवेश नहीं देने से विवाद शुरू हुआ था. बाद में यह विवाद और गंभीर हो गया और कुछ हिंदू छात्र भगवा गमछा लेकर आने लगे. बात इतनी बढ़ गई कि मामला कर्नाटक हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया.