‘मस्जिदों के नीचे मंदिर खोजने वालों, ये भी बताओ कि 84 हजार बौद्ध स्तूप कहां गए?’: स्वामी प्रसाद मौर्य

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में संभल की शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान भड़की हिंसा के बाद भी राज्य में लगातार मस्जिदों के सर्वे की मांग जारी है. देश की सबसे प्राचीन अजमेर शरीफ दरगाह के नीचे शिव मंदिर होने का दावा, बदायूं शम्सी शाही मस्जिद में नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा और जौनपुर की अटाला मस्जिद को लेकर भी दावे किए गए हैं. इन दावों को लेकर अदालत में याचिकाएं दायर की गई हैं.

संभल हिंसा में चार लोगों की मौत के बाद देश की सियासत अब तक गरमाई हुई है. बीजेपी की अगुआई वाली सरकार और विपक्षी दलों, सपा, कांग्रेस के बीच पहले ही जबरदस्त भिड़ंत हो चुकी है. अब इस मामले में पूर्व मंत्री व यूपी के कद्दवार नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने बड़ा बयान दिया है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के चीफ स्वामी प्रसाद मौर्य ने बुधवार को संभल हिंसा के संबंध में कहा कि अगर आप गड़े मुर्दे उखाड़ेंगे, तो मैं साफ कर देना चाहता हूं कि मस्जिद में मंदिर खोजने वालों को महंगा पड़ेगा, क्योंकि अगर आप मस्जिद में मंदिर खोजेंगे, तो लोग मंदिरों में बौद्ध मठ खोजना शुरू कर देंगे.

उन्होंने कहा, “इतिहास इस बात का गवाह है कि केदारनाथ, बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, यह सब बड़े तीर्थस्थल थे. इन्हें आज हिंदू मजहब का स्वरूप दे दिया गया है. सम्राट अशोक ने 84 हजार बौद्ध स्तूप बनवाए थे. आखिर वो कहां चले गए. इससे साफ जाहिर होता है कि इन्हीं लोगों ने इसे तोड़कर मंदिर बनवाया है, इसलिए मैं साफ कर देना चाहता हूं कि अगर आप मस्जिद में मंदिर खोजेंगे, तो हम मंदिरों में बौद्ध मठ खोजना शुरू कर देंगे, इसलिए देश में एकता बनाए रखने के लिए यह जरूरी हो जाता है कि 1947 से पहले के बाद जिस मजहब की स्थिति जैसी थी, मौजूदा वक्त में उसे वैसा ही रहने दिया जाए, उसके साथ किसी भी प्रकार का छेड़छाड़ नहीं किया जाए.”

पूर्व मंत्री देश के अमन-चैन पर बात करते हुए कहा, “हम चाहेंगे देश में भाईचारा बना रहे. किसी भी धर्म के लोगों के बीच में नफरत पैदा न हो. हमें इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा.”

वहीं, राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी (RSSP) के मुखिया ने उत्तर प्रदेश सरकार की कार्यशैली पर निशाना साधते हुए कई सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “आज की सरकारें अपने कामों में बुरी तरह विफल रही हैं, जिससे आम जनता को भारी नुकसान हुआ है. बेरोजगारी, महंगाई, किसानों की परेशानी और एजुकेशन जैसे मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकारों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं. इसकी वजह से लोगों में असंतोष बढ़ रहा है और सरकार के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.”

ज्ञात हो कि संभल शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान 24 नवंबर को हिंसा भड़क गई थी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी. इस हिंसा में कई लोग घायल हुई थे. हिंसा में मरने वालों के नाम बिलाल अंसारी, नईम गाजी, कैफ अल्वी और अयान अब्बासी हैं.

इससे पहले 19 नवंबर को एक स्थानीय अदालत ने मुगल कालीन मस्जिद का सर्वे कराए जाने का आदेश दिया था. 19 नंवबर के सर्वे के बाद फिर से सर्वे टीम दोबारा 24 नवंबर को मस्जिद का सर्वेक्षण करने पहुंची थी. इसी दौरान हिंसा भड़क गई थी.

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