Muharram And Ashura special virtues: मुहर्रम (Muharram) के महीने की शुरूआत हो गई है, आज यानी कि शुक्रवार, 27 जून को मुहर्रम के महीने का पहला दिन है. मोहर्रम का चांद बीती शाम यानी कि 26 जून को देखा गया था. मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर या फिर हिजरी कैंडर का पहला महीना होता है. रमजान के बाद इस महीने में रोजा रखने का सवाब अधिक मिलता है. आईए मुहर्रम के महीने और इसके दसवें दिन यानी कि आशूरा के फ़ज़ीलत के बारे में जानते हैं.
मुहरर्म के महीने की फ़ज़ीलत
सही मुस्लिम की हदीस के अनुसार, अल्लाह के रसूल पैगम्बर मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया कि रमजान के बाद सबसे बेहतरीन रोजा मुहर्रम के महीने का रोज़ा है.
मुहरर्म के दसवें दिन यानी कि आशूरा का महत्व
सहीह अल-बुखारी की एक हदीस के मुताबिक, हजरत आयशा सिद्दीका (R.A) ने बयान फरमाया कि रमजान का रोजा फर्ज होने से पहले मुसलमान आशूरा का रोजा रखते थे. जाहिलियत के दौर में आशूरा के दिन ही काबे में गिलाफ चढ़ाया जाता था. फिर जब अल्लाह ताला ने रमजान फर्ज कर दिया तो पैगम्बर मोहम्मद साहब ने लोगों से फरमाया कि अब जिसका जी चाहे आशूरा का रोजा रखे, और जिसे मन ना हो छोड़ दे.
आशूरा के दिन ही बनी इसराइल को दुश्मनों से मिली थी निजात
वहीं सहीह अल-बुखारी की ही एक हदीस के अनुसार, हजरत इब्न अब्बास (R.A) से रिवायत है कि पैगम्बर मोहम्मद (S.A) जब मदीना तशरीफ लाए, तो उसके दूसरे साल आपने यहूदियों को देखा कि वे आशूरा के दिन रोजा रखते हैं. इसके बाद आपने जब इसके बारे में पता किया तो जानकारी मिली कि इसी दिन अल्लाह ताला ने बनी इसराइल को उनके दुश्मन फिरौन से निजात दिलाई थी, इसीलिए मूसा (A.S) ने इस दिन का रोजा रखा था. इसके बाद आपने उस दिन रोजा रखा और सहाबा को भी इसका हुक्म दिया.