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‘रूसी राष्ट्रपति पुतिन से विपक्षी नेता राहुल गांधी को नहीं मिलने देना अजीब बात..’ कांग्रेस MP राजीव शुक्ला ने उठाया सवाल

कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने कहा कि विदेश नीति की परंपरा रही है कि बाहर से आए नेता को नेता विपक्ष से मिलाया जाता है. इस परंपरा को अटल जी ने मनमोहन जी ने और पहले के प्रधानमंत्रियों ने बरकरार रखा था.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) गुरूवार, 4 दिसंबर को 23वें भारत-रूस समिट के लिए दो दिवसीय भारतीय दौरे पर आए हुए हैं. पीएम मोदी ने पालम एयरपोर्ट पर पुतिन का स्वागत किया. वहीं दूसरी ओर विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को पुतिन से नहीं मिलने देने पर विपक्षी नेता मोदी सरकार की कड़ी अलोचना कर रहे हैं. विपक्षी नेता पीएम मोदी पर परंपरा तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं.

‘गांधी परिवार के रूस से विशेष संबंध’

कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने न्यूज एंजेसी IANS से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने जो कहा है ठीक कहा है. जिस तरह से यह सब हो रहा है कि पुतिन के आने पर उन्हें न मिलने देना उचित नहीं है. विदेश नीति की परंपरा रही है कि नेता विपक्ष को मिलाया जाता है. इस परंपरा को अटल जी ने मनमोहन जी ने और पहले के प्रधानमंत्रियों ने बरकरार रखा था. गांधी परिवार के तो रूस से विशेष संबंध हैं.

उन्होंने आगे कहा कि 1971 के युद्ध में इंदिरा जी ने ब्रेझनेव को बुलाकर इसी बोट क्लब में रैली करवाई थी. रक्षा संधि साइन की थी. गांधी परिवार ने ही जोड़ा था और उनको ही नहीं मिलने देना विचित्र बात है.

राहुल गांधी ने क्या कहा था?

राहुल गांधी ने कहा था कि बाहर से आने वाले डेलिगेशन के साथ लोकसभा के विपक्ष के नेता की मीटिंग होती है, ये ट्रेडीशन है, हमेशा से होता आया है. लेकिन मोदी सरकार बाहर से आने वाले डेलिगेट्स से कहती है कि LoP से न मिलें. ये हर बार किया जा रहा है.

राहुल गांधी ने कहा कि हिंदुस्तान का प्रतिनिधित्व सिर्फ सरकार नहीं, विपक्ष भी करता है, फिर भी सरकार नहीं चाहती कि विपक्ष बाहर के लोगों से मिले. नेता विपक्ष का बाहर से आए डेलिगेट्स से मिलना एक परंपरा है, लेकिन नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्रालय इसे फॉलो नहीं करते हैं.

प्रियंका गांधी का मोदी सरकार पर गंभीर आरोप

वहीं कांग्रेस महासचिव और सांसद प्रियंका गांधी ने कहा कि ये प्रोटोकॉल है कि विदेश से आए डेलिगेट्स LoP से मिलते हैं. लेकिन मोदी सरकार की नीतियां ऐसी हैं, जिसमें वे किसी और की आवाज उठने ही नहीं देना चाहते, किसी और का पक्ष सुनना ही नहीं चाहते. विदेश से आए डेलिगेट्स हमेशा LoP से मिलते आए हैं, ये प्रोटोकॉल निभाया जाना चाहिए, लेकिन मोदी सरकार बहुत इनसिक्योर है.

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