Jamia Millia Islamia 105th Foundation Day: देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों में शुमार जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी आज यानी कि 29 अक्टूबर को अपना 105वां स्थापना दिवस मना रहा है. एक छोटे संस्थान के रूप में शुरू हुआ जामिया मिलिया इस्लामिया आज के दौर में देश और दुनिया में अपना अलग मुकाम बना चुका है. इस संस्थान से पढ़कर निकलने वाले छात्र दुनिया भर में अपना, जामिया और देश का नाम रौशन कर रहे हैं. तो आईए जानते हैं कि जामिया मिलिया इस्लामिया के स्थापना कैसे हुई और इसका इतिहास क्या है..
अलीगढ़ में हुई थी जामिया की स्थापना
देश की राजधानी दिल्ली में स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना साल 1920 अलीगढ़ में की गई थी. इसके बाद जामिया को 1925 में अलीगढ़ से दिल्ली के करोल बाग में स्थानांतरित किया गया, उसके बाद इसे ओखला में स्थानांतरित कर दिया, जहां ये आज भी स्थित है. साल 1988 में भारतीय संसद के एक अधिनियम के द्वारा जामिया सेंट्रल यूनिवर्सिटी बन गया. उर्दू भाषा में, “जामिया” का मतलब है ‘विश्वविद्यालय’ और “मिलिया” का मतलब है ‘राष्ट्रीय’ होता है.
देश की आजादी से पहले एक छोटे संस्थान के रूप में शुरू हुआ जामिया मिलिया इस्लामिया अब नर्सरी से लेकर पीएचडी तक की शिक्षा प्रदान करता है.
जामिया की स्थापना कैसे हुई?
खिलाफत आंदोलन से व्यक्त होने वाली औपनिवेशिक विरोधी सक्रियता और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के असहयोग आंदोलन द्वारा व्यक्त स्वतंत्रता की उम्मीदों के परिणामस्वरूप जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना हुई. रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इसे “भारत के सबसे प्रगतिशील शैक्षणिक संस्थानों में से एक कहा था.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को विरोध कर जामिया की नींव रखी
औपनिवेशिक शासन द्वारा समर्थित या संचालित सभी शैक्षणिक संस्थानों का बहिष्कार करने के मुहिम के दौरान महात्मा गांधी की अपील पर राष्ट्रवादी शिक्षकों और छात्रों ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी छोड़ दिया. इन सभी लोगों ने ये विरोध किया कि यह विश्वविद्यालय ब्रिटिशों के पक्ष में झुका हुआ है. इस आंदोलन के प्रमुख सदस्य मौलाना महमूद हसन, मौलाना मोहम्मद अली, हकीम अजमल खान, डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी और अब्दुल मजीद ख्वाजा थे.
जामिया के लिए भीख मांगने को तैयार थे गांधी जी
जामिया के संस्थापक सदस्य हकीम अजमल खान, डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी और अब्दुल मजीद ख्वाजा ने गांधीजी के सहयोग से 1925 में जामिया को अलीगढ़ से नई दिल्ली के करोल बाग में स्थानांतरित कर दिया. इस दौरान महात्मा गांधी ने जामिया का मनोबल बढ़ाते हुए कहा था कि जामिया को चलना ही होगा. अगर आपको इसकी आर्थिक स्थिति की चिंता है, तो मैं भीख का कटोरा लेकर घुमूंगा.

