जामिया और CSIR-IGIB के शोध से खुलासा: मोटापे का स्टेम सेल उपचार पर प्रभाव

नई दिल्ली: मल्टीडिसिप्लिनरी सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च एंड स्टडीज (एमसीएआरएस), जामिया मिल्लिया इस्लामिया के शोधकर्ताओं ने एलर्जिक रेस्पोरेट्री इनफ्लेमेशन के कारण होने वाले फेफड़ों लंग्स के रोगों के इलाज के लिए चिकित्सीय स्टेम सेल विकसित किए हैं।

डॉ तनवीर अहमद (एमसीएआरएस, जेएमआई) के नेतृत्व में ग्रुप ने पाया कि स्वस्थ व्यक्तियों से प्राप्त स्टेम कोशिकाओं को फेफड़ों के रोगों के इलाज के लिए जेनेटिकली रूप से मोड्युल्ड किया जा सकता है।

टीम ने खोज की कि एनर्जी-जेनरेटिंग ऑर्गेनेल माइटोकॉन्ड्रिया में कार्डियोलिपिन कंटेंट में कमी के कारण स्टेम सेल्स डिस फंक्शनल हो गईं और इम्पेयर्ड मेटाबोलिक फिटनेस प्रदर्शित किया। इस मुद्दे को हल करने के लिए, टीम ने पायरोलोक्विनोलिन क्विनोन (पीक्यूक्यू) नामक एक स्माल मोलेक्युल की पहचान की जो प्रभाव को उलट सकता है और इन स्टेम सेल्स को मेटाबोलिक एक्टिविटी बहाल कर सकता है।

शोधकर्ताओं ने इन स्टेम सेल को प्री-क्लिनिकल मॉडल में पेश किया और पाया कि रोगियों या मोटे जानवरों से प्राप्त PQQ- मॉड्यूटेड स्टेम सेल ने एक्यूट एलर्जी एयरवे इनफ्लेमेशन जैसे रेस्पोरेट्री डिसीज़ को कम करने में बेहतर चिकित्सीय प्रभाव का प्रदर्शन किया।

यह कार्य सीएसआईआर-आईजीआईबी में डॉ. सौम्या सिन्हा रॉय के समूह के साथ मिलकर किया गया था, और मूल विचार सीएसआईआर-आईजीआईबी में डॉ. अनुराग अग्रवाल की प्रयोगशाला में तैयार किया गया था।

नेचर पब्लिशिंग ग्रुप के पीयर-रिव्यूड जर्नल ‘सेल डेथ एंड डिजीज’ में प्रकाशित अध्ययन, नैदानिक और आणविक स्तर पर पहला एविडेंस प्रदान करता है कि कैसे मोटापा मेसेनकाइमल स्टेम सेल के चिकित्सीय कार्य में कमी में योगदान देता है। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि उनके निष्कर्ष विभिन्न मेटाबोलिक और मोटापे से संबंधित बीमारियों के इलाज के लिए मोलेक्युलर पैथवे और उपचार के भविष्य के विकास की पहचान करने में मदद करेंगे।

डॉ. अहमद ने स्टडी के सभी लेखकों को बधाई दी और कहा कि पिछले कुछ वर्षों में मेटाबोलिक संबंधी विकार और मोटापे से संबंधित जटिलताओं में वृद्धि हुई है, और यह अध्ययन बेहतर और स्वस्थ जीवन के लिए ऐसी जटिलताओं से निपटने का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने मेसेंकाईमल स्टेम सेल की ट्रांसलेशनल क्षमता पर भी प्रकाश डाला और कहा कि इन सेल्स में मानव रोगों की एक विस्तृत श्रृंखला के उपचार की खास क्षमता है।

डॉ. रॉय के साथ, टीम में डॉ. शक्ति सागर (पेपर के पहले लेखक, सीएसआईआर-आईजीआईबी), डॉ. अनुराग अग्रवाल (लेखक, पूर्व निदेशक, सीएसआईआर-आईजीआईबी), गौरव खरिया (बीएमटी हेड, अपोलो अस्पताल) और योगदान देने वाले अन्य सभी लेखक भी शामिल थे।

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