Karnataka Muslim reservation Bill: कर्नाटक में मुस्लिमों को सिविल अनुबंधों में रिजर्वेशन देने वाले बिल को लेकर तनाव बढ़ता नजर आ रहा है. एक तरफ जहां कर्नाटक की कांग्रेस सरकार इस बिल को मुस्लिमों के हित में लागू करना चाह रही है, तो वहीं दूसरी ओर राज्यपाल ने इस बिल को दो बार वापस कर दिया है.
राज्यपाल द्वारा मुस्लिम रिजर्वेशन बिल को दो बार वापस कर दिए जाने के बाद राज्य सरकार इसे तीसरी बार राष्ट्रपति के वापस भेजने पर जोर दे रही है.
कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार कर रही है यह विचार
बता दें कि कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने दो बार मुस्लिम रिजर्वेशन बिल को वापस लौटा दिया है. अब कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार इस बिल को तीसरी बार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजने पर विचार कर रही है.
राज्यपाल ने बिल को दोबारा भेजने से किया इनकार
‘हिन्दुस्तान’ की रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने इस बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए 16 अप्रैल को अपने पास सुरक्षित रख लिया था. लेकिन 28 मई को इसे खारिज कर दिया. साथ ही इस बिल को राष्ट्रपति के पास दोबारा भजने के लिए विचार करने से भी इनकार कर दिया है.
मीडिया के अन्य रिपोर्टों के मुताबिक, बीजेपी ने इस बिल को धर्म के आधार पर रिजर्वेशन बताया था. इसके बाद राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने इस बात का हवाला देते हुए बिल को वापस कर दिया है.
मुस्लिम रिजर्वेशन विधेयक में 1 करोड़ रुपये तक के सिविल अनुबंधों में मुसलमानों को 4% आरक्षण देने का प्रावधान है. प्रस्तावित कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आएगा, कथित तौर पर सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए कुल आरक्षण को 47 प्रतिशत तक बढ़ा देगा.