कर्नाटक हिजाब मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय में सुनवाई चल रही है. मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी की अगुआई वाली खंडपीठ इस पर सुनवाई की. तीन जजों की बेंच में न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित और जेएम खाजी भी शामिल हैं. अब मामले की सुनवाई सोमवार को होगी.
इससे पहले गुरुवार को सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम सामान्य रूप से मीडिया से अनुरोध करेंगे, कृपया आदेश को देखे बिना बहस के दौरान अदालत द्वारा की गई किसी भी टिप्पणी की रिपोर्ट न करें.
मुख्य न्यायाधीश ने कर्नाटक में स्कूल-कॉलेज बंद होने को लेकर कहा कि कोविड के बाद चीजें पटरी पर आ रही थीं, लेकिन अब ऐसा हो गया है और यह अच्छी स्थिति नहीं है. सभी को इस बात की चिंता होनी चाहिए कि शिक्षण संस्थान जल्द से जल्द शुरू हों और इन सभी मुद्दों पर फैसला किया जाए.
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने कहा कि हम संस्थाएं शुरू करना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि बच्चे आएं लेकिन हम सिर पर चोट के निशान वाले छात्रों के एक समूह से शुरुआत नहीं कर सकते हैं. विशेष ड्रेस कोड पर जोर दिए बिना, उन्हें आज के ड्रेस कोड का पालन करना चाहिए. राज्य ने एक आदेश पारित किया है कि सभी शिक्षण संस्थान अपनी वर्दी तय करेंगे और उसी के अनुसार कॉलेजों ने फैसला किया है. कोर्ट में याचिकाएं दाखिल करने के बाद से कुछ छात्र भगवा शॉल पहनकर आने लगे हैं.
इस पर छात्राओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने कहा कि यह वर्दी का मामला नहीं है. छात्राएं वर्दी पहने हुई थीं, वे केवल उसी रंग का सिर पर दुपट्टा पहनना चाहती थीं.
उन्होंने कहा कि हमारा मौलिक अधिकार किसी स्कूल कमेटी तय नहीं करेगी. सिर पर स्कार्फ़ लगाना अनुच्छेद 25 का उल्लंघन नहीं है. कामत का कहना है कि जीओ में राज्य ने घोषणा की है कि सिर पर दुपट्टा धर्म का हिस्सा नहीं है इसलिए GO के लिए चुनौती महत्वपूर्ण है. प्रथम दृष्टया ये अंतरिम राहत का मामला भी है.
इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम इस मुद्दे पर विचार कर रहे हैं कि क्या सिर पर दुपट्टा पहनना अनुच्छेद 25 के तहत मौलिक अधिकार के अंतर्गत आता है. वहीं, छात्राओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा कि मुख्य रूप से यही है हम ईआरपी के प्रश्न में जाते हैं, तो मैं उस पर कुरान की आयतें और भाष्य रखूंगा, इसमें समय लगेगा. ऐसी छात्राएं हैं जिन्हें बहुत कठिन समस्या है. एजी के लिए यह कहना आसान है कि उन्हें वापस जाने दो लेकिन क्या उन्हें लेने के लिए कहा जाना चाहिए. कुछ चीजें हैं जो समाधान की प्रतीक्षा कर सकती हैं, आग लगने से पहले उसे बुझाना होगा.
हेगड़े ने कहा कि यह केवल आवश्यक धार्मिक अभ्यास का मामला नहीं है. यह बालिकाओं के लिए आवश्यक शिक्षा का भी मामला है. जब तक कोर्ट फैसला न कर ले, तब तक बीच का रास्ता अपनाने में समझदारी है. इसे पीयूसी कॉलेज स्तर पर हल किया जा सकता है और एक बुद्धिमान सरकार इसे हल कर सकती है. मैंने महाधिवक्ता को यह कहते सुना कि कल कुरान की कई व्याख्याएं हैं. अनुच्छेद 14 और 21 की कई व्याख्याएं हो सकती हैं लेकिन वे सभी की सहायता के लिए आती हैं.
उन्होंने कहा कि किसी आग में कोई ईंधन नहीं डालना चाहता. इस राज्य को जो पहली चीज करने की आवश्यकता है वह यह है कि बच्चों को वापस जाने दिया जाए और शांति को वापस लौटने दिया जाए. हेगड़े ने कहा कि मैं अनुरोध करूंगा कि राज्य को काम करने का सुझाव दें और इसे सीडीसी पर न छोड़ें. मैं कामत से सहमत हूं कि यह ठीक नहीं होगा. यह एक महिला की पहचान और गरिमा का सवाल है.
हेगड़े ने डॉ. अंबेडकर का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि जब वे स्कूल गए तो उन्हें अलग बिठाया गया. गणतंत्र के इतने वर्षों के बाद मैं किसी तरह का अलगाव नहीं चाहता. हम एक ऐसा देश हैं जैसे कोई दूसरा नहीं. वहीं, कामत ने अंतरिम राहत के सवाल पर सुनवाई का अनुरोध किया. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम आपके इस निवेदन को समझ गए हैं कि कर्नाटक शिक्षा अधिनियम में न तो वर्दी और न ही कोई दंड का प्रावधान है. मामले की सुनवाई सोमवार को होगी.
क्या है विवाद
कर्नाटक में हिजाब विवाद की कई घटनाएं सामने आई हैं. मुस्लिम छात्राओं को हिजाब में कॉलेजों या कक्षाओं में जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है. कुछ हिंदू छात्र हिजाब के जवाब में भगवा शॉल पहनकर शैक्षणिक संस्थानों में आ रहे हैं. यह मुद्दा जनवरी में उडुपी के एक सरकारी महाविद्यालय से शुरू हुआ था. यहां छह छात्राएं निर्धारित ड्रेस कोड का उल्लंघन कर हिजाब पहनकर कक्षाओं में आई थीं. इसके बाद इसी तरह के मामले कुंडापुर और बिंदूर के कुछ अन्य कॉलेजों से भी आए.
कर्नाटक के उडुपी के गवर्नमेंट गर्ल्स प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज में छह छात्राओं को हिजाब पहनने की अनुमति नहीं देने के विवाद ने राज्य के शिक्षा मंत्री बी.सी. नागेश ने इसे एक ‘राजनीतिक’ कदम करार दिया और पूछा कि क्या शिक्षण संस्थान धार्मिक केंद्रों में बदल गए हैं. कुल मिलाकर मामला हाई कोर्ट तक पहुंच गया है. कई जगह तनाव देखते हुए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने स्कूल-कॉलेज तीन दिन के लिए बंद करने के आदेश दिए थे. अब मामले की सुनवाई हाई कोर्ट में चल रही है. सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई है.