कर्नाटक के कई मंदिरों में लगने वाले वार्षिक मेले में मुसलमानों के दुकान लगाने पर रोक लगा दी गई है. कर्नाटक में 20 अप्रैल से वार्षिक मेले का आयोजन किया जाना है.
दक्षिणपंथी हिंदू समूहों का कहना है कि हिजाब पर आए फैसले के बाद मुस्लिम संगठनों ने बंद का ऐलान किया था और अपनी दुकानें बंद रखी, इसलिए मंदिरों को उन्हें वार्षिक मेले में स्टाल लगाने की अनुमति नहीं देनी चाहिए.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आयोजन समितियों पर कथित तौर पर दक्षिणपंथी हिंदू संगठन दबाव बना रहे हैं. वो नहीं चाहते हैं कि मेलों में यहां मुसलमानों को दुकान लगाने की इजाजत दी जाए.
मुसलमानों के प्रवेश पर रोक
राज्य के तटीय इलाकों के मंदिरों में सालाना उत्सव के दौरान आमतौर पर अप्रैल-मई में मेले लगते हैं. इससे करोड़ों का राजस्व मिलता है. सांप्रदायिक तनाव के बावजूद पहले ऐसा कभी नहीं देखा गया है कि इस तरह के त्योहारों में किसी समुदाय के बिजनेस को नुकसान पहुंचाया गया हो. लेकिन हिजाब पर हाईकोर्ट के फैसले पर मुसलमानों द्वारा बुलाए गए बंद के बाद, क्षेत्र के कई मंदिरों ने अपने त्योहारों में मुसलमानों के प्रवेश पर रोक लगा दी है.
नीलामी में मुसलमानों को भाग लेने की इजाजत नहीं
20 अप्रैल को होने वाले महालिंगेश्वर मंदिर के सालाना उत्सव के आयोजकों ने नीलामी में मुसलमानों के भाग लेने पर रोक लगा दी है. आयोजकों ने स्पष्ट किया है कि 31 मार्च को बोली में भाग लेने के लिए सिर्फ हिंदू ही एलिजिबल होंगे. हालांकि मंदिर के अधिकारियों ने फिलहाल इस पर कुछ भी कहने से मना कर दिया है. इसी तरह, उडुपी जिले के कौप में होसा मारिगुडी मंदिर ने इस सप्ताह आयोजित होने वाले वार्षिक मेले के लिए 18 मार्च को हुई नीलामी में मुसलमानों को स्टॉल आवंटित करने से इनकार कर दिया. मंदिर प्रशासन समिति के अध्यक्ष रमेश हेगड़े ने कहा कि उन्होंने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें केवल हिंदुओं को दुकानों की नीलामी में भाग लेने की अनुमति दी गई.
क्यों नाराज़ है हिंदू संगठन?
अखबार के मुताबिक, हिंदू जागरण वेदिके के मंगलुरु डिवीजन के महासचिव प्रकाश कुक्केहल्ली ने कहा कि हिजाब पर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मुसलमानों द्वारा अपनी दुकानें बंद करने के बाद स्थानीय मंदिर में पूजा करने वाले लोग नाराज़ थे. दक्षिण कन्नड़ जिले में, बप्पनडुई श्री दुर्गापमेश्वरी मंदिर के वार्षिक उत्सवों के एक होर्डिंग में कहा गया है,’ जो लोग कानून का सम्मान नहीं करते हैं और जो एकता के खिलाफ हैं, उन्हें व्यापार करने की इजाजत नहीं दी जाएगी. हम उन्हें बिज़नेस करने की अनुमति नहीं देंगे. हिंदू जागरूक है.’
क्या होगी कार्रवाई?
मंगलुरु शहर के पुलिस आयुक्त एन शशि कुमार ने कहा, ‘हम पता लगा रहे हैं कि इन पोस्टर को किसने लगाया. अगर नागरिक एजेंसी शिकायत दर्ज करने के लिए तैयार है, तो हम अपनी कानूनी टीम से परामर्श करेंगे और उसके अनुसार कार्रवाई करेंगे.’
ऐसा पहले कभी नहीं हुआ
उडुपी डिस्ट्रिक्ट स्ट्रीट वेंडर्स एंड ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव मोहम्मद आरिफ ने कहा कि ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं थी. उन्होंने कहा, ‘लगभग 700 रजिस्टर्ड सदस्य हैं जिनमें से 450 मुस्लिम हैं. कोविड-19 की वजह से पिछले दो साल से हमारे पास कोई कारोबार नहीं था. अब जब हम फिर से कमाई करना शुरू कर रहे हैं, तो हमें मंदिर समितियों द्वारा इजाजत नहीं दी जा रही है.’
(न्यूज़ 18 हिंदी से इनपुट के साथ)