कर्नाटक के बागलकोट जिले में प्रख्यात वाएज (धार्मिक प्रवचनकर्ता) एवं पद्मश्री से सम्मानित इब्राहीम सुतार का शनिवार को दिल का दौरा पड़ने के बाद निधन हो गया. उन्हें कन्नड़ कबीर के रूप में भी जाना जाता था.
सरकार ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार करने का आदेश दिया है.
सुतार के पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, आज सुबह उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी.
सुतार 81 वर्ष के थे. उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा और दो बेटियां हैं.
10 मई 1940 को जन्मे सुतार ने केवल तीसरी कक्षा तक पढ़ाई की थी, लेकिन आध्यात्मिकता की उनकी लालसा ने उन्हें इस्लामी किताबों के अलावा हिंदू धर्मग्रंथों का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया.
वह कर्नाटक और भारत के अन्य हिस्सों के संतों के लेखन से भी प्रभावित थे. 1970 में, उन्होंने सौहार्द लोक संगीत मेला की स्थापना की थी, जिसमें कलाकारों की एक टीम पड़ोसी गांवों में धार्मिक प्रवचन दिया करती थी.
उन्हें जानने वाले बताते हैं कि कन्नड़ कबीर ने अपने भाषणों में हमेशा हिंदुओं और मुसलमानों के बीच धार्मिक सद्भाव पर जोर दिया. उन्हें श्रीमद भगवद गीता के साथ-साथ कुरान की भी जबरदस्त जानकारी थी.
सुतार सूफीवाद के पथ प्रदर्शक थे और उनके प्रवचन संस्कृत के श्लोकों, संत कबीर, रहीम के ‘दोहा’ (हिंदी दोहे) और कर्नाटक के महान संतों के कथनों से पूर्ण थे. समाज में उनके योगदान को स्वीकार करते हुए, भारत सरकार ने उन्हें 2018 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया था.
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि सुतार धार्मिक सद्भाव के प्रतीक थे जिन्होंने हिंदू धर्मग्रंथों पर प्रवचन दिया.
बोम्मई ने ट्वीट किया, ‘पद्म श्री से सम्मानित मजहबी वाएज इब्राहीम सुतार के निधन के बारे में सुनकर मुझे गहरा दुख हुआ है. भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और परिवार यह क्षति सहन करने की शक्ति प्रदान करे. उन्होंने समाज में सांप्रदायिक सद्भाव के बीच बोए.’
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी, बोम्मई सरकार में मंत्री गोविंद करजोल, मुरुगेश निरानी, डॉ सी. एन. अश्वत्थ नारायण और पूर्व मुख्यमंत्रियों सिद्धारमैया, बी. एस. येदियुरप्पा और एच.डी. कुमारस्वामी सहित कई अन्य ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है.
(इनपुट) पीटीआई-भाषा