Qari Ishaq Gora: देशभर में 7 जून को ईद-उल-अजहा मनाई जाएगी, इसको लेकर जोर- शोर से तैयारियां चल रही है. वहीं दूसरी ओर हर साल की तरह इस साल भी जानवरों की कुर्बानी को कई लोग लेकर तरह- तरह का ज्ञान बांट रहे हैं. कोई कह रहा है कि जानवरों की कुर्बानी की जगह केक काटें तो कोई कुछ और बयानबाजी कर रहा है. इसी बयानबाजी पर देवबंदी उलेमा व जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने करारा जवाब दिया है. साथ ही लोगों से अहम अपील की है.
कुर्बानी पर ज्ञान देने वालों को मौलाना ने दिया करारा जवाब
मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने एक वीडियो जारी करते हुए साफ तौर पर कहा कि जो लोग यह कहते हैं कि जानवर की कुर्बानी की जगह कुछ और किया जाए, केक काटें तो उन्हें यह समझना चाहिए कि शरीयत में ईद-उल-अजहा की कुर्बानी का कोई विकल्प नहीं है. यह एक इबादत है, रस्म नहीं. अल्लाह की इबादत को अपने जाती ख्यालात और सुविधाओं से नहीं तोला जा सकता.
इसके साथ ही क़ारी इसहाक़ गोरा ने उन लोगों को करारा जवाब देते हुए कहा कि जो लोग जानवर की कुर्बानी के खिलाफ ज्ञान बांट रहे हैं, उन्हें पहले अपने घर के फ्रिज में झांककर देखना चाहिए कि उसमें कितना मांस रखा हुआ है.
‘अपने गिरेबान में झांके और दूसरों के धर्म का सम्मान करें’
मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने आगे कहा कि किसी भी धर्म विशेष की धार्मिक परंपराओं को निशाना बनाना सामाजिक सौहार्द के लिए खतरनाक है. हमें चाहिए कि हम अपने गिरेबान में झांके और दूसरों के धर्म का सम्मान करें.
लोगों की दी हिदायत
क़ारी इसहाक़ गोरा ने मुसलमानों से अपील की कि कुर्बानी करने वाले हर मुसलमान को यह याद रखना चाहिए कि कुर्बानी वाजिब है, लेकिन साथ ही साफ-सफाई और सामाजिक जिम्मेदारी का भी ध्यान रखें. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर जानवरों की तस्वीरें और वीडियो डालना, सड़कों पर जानवरों को घुमा-घुमाकर हुड़दंग मचाना शरीयत और तहजीब दोनों के खिलाफ है. कुर्बानी अल्लाह के लिए होती है, इंसानों को दिखाने के लिए नहीं.
साफ-सफाई का रखें ध्यान
कारी साहब ने ताकीद की कि कुर्बानी किसी प्रतिबंधित जानवर की न की जाए और न ही खुले स्थान पर बिना इजाज़त कुर्बानी की जाए. इसके अलावा, कुर्बानी के बाद जानवरों के अवशेष नगरपालिका या नगर निगम द्वारा निर्धारित स्थान पर ही फेंके जाएं ताकि शहर की साफ-सफाई बनी रहे.