Maharashtra Hindi- Marathi Conflict: महाराष्ट्र में इस वक्त हिंदी- मराठी भाषा को लेकर घमासान छिड़ा हुआ है. पूरे राज्य में आंदोलन में किया जा रहा है. हिंदी- मराठी भाषा में चल रहे विवाद के बीच महाराष्ट्र में उर्दू भाषा भी निशाने में आ गई है. महाराष्ट्र की महायुति सरकार के सांस्कृतिक ने उर्दू साहित्य अकादमी परिसर को खाली करने का नोटिस जारी किया है. इसके बाद राज्य की सियासी सरगरमी तेज हो गई है. उर्दू साहित्य अकादमी को नोटिस दिए जाने की समाजवादी पार्टी के विधायक रईस शेख ने कड़ी अलोचना की है.
बता दें कि उर्दू साहित्य अकादमी अपना 50वां वर्षगांठ मनाने की तैयारी में लगा हुआ है. इसी बीच अकादमी को परिसर खाली खाली करने का नोटिस मिलना बेहद ही चिंता का विषय है.
नोटिस पर तत्काल रोक लगाने की मांग
विधायक रईस शेख ने इस मामले को विधानसभा में उठाने के साथ ही महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजीत पवार और माइनॉरिटी मिनिस्टर दत्तात्रेय भारने के सामने शिकायत दर्ज कराया है. साथ ही इस नोटिस पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है.
‘उर्दू और मराठी साहित्य को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई थी’
समाजवादी पार्टी के विधायक रईस शेख ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि उर्दू साहित्य अकादमी की स्थापना 1975 में एस.बी. चव्हाण साहब ने की थी. यह अकादमी उर्दू और मराठी साहित्य को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई थी. लेकिन अफसोस की बात है कि आज उर्दू साहित्य अकादमी, जिसे सरकार को और मजबूत करना चाहिए, वह मात्र 200 वर्ग फीट के छोटे से कमरे में सिमटी हुई है.
मुंबई, महाराष्ट्र: समाजवादी पार्टी के विधायक रईस शेख ने उर्दू अकादमी के मुद्दे पर कहा, “उर्दू साहित्य अकादमी की स्थापना 1975 में एस.बी. चव्हाण साहब ने की थी। यह अकादमी उर्दू और मराठी साहित्य को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई थी। लेकिन अफसोस की बात है कि आज उर्दू साहित्य अकादमी, जिसे… pic.twitter.com/RaneFa0pCN
— IANS Hindi (@IANSKhabar) July 8, 2025
रईस शेख ने आगे कहा कि अब इसे सड़क पर लाने की बात की जा रही है. हमने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया है. मंत्री ने इस पर चर्चा के लिए एक-दो दिन का समय मांगा है. मुझे पूरी उम्मीद है कि सरकार ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगी और उर्दू अकादमी को उसका उचित स्थान देगी.