केरल हाई कोर्ट की एकल पीठ ने मलयालम टीवी न्यूज चैनल ‘मीडिया वन’ (Media One) पर सूचना-प्रसारण (I&B) मंत्रालय के प्रतिबंध को बरकरार रखा. एकल पीठ के इस फैसले को बुधवार को चैनल की पैरेंट कंपनी ‘मध्यमम ब्रॉडकास्टिंग लिमिटेड’ (Madhyamam Broadcasting Limited) ने हाई कोर्ट की डबल बेंच में चुनौती दी है.
मंगलवार को हाई कोर्ट की एकल पीठ ने चैनल के लाइसेंस का नवीकरण नहीं करने के सरकार के फैसले को सही ठहराया और इस संबंध में केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली उसकी याचिका को खारिज कर दी थी.
मंगलवार को जस्टिस एन. नागरेश ने अपने आदेश में कहा था कि नागरिकों को सुरक्षित जीवन देना और खतरे पहले से भांपना संप्रभु सत्ता का सबसे आवश्यक कार्य है. अधिकारों पर कुछ सीमाएं लगाने के लिए संविधान ने भी सरकार को शक्ति दी है. तार्किक ढंग से यह सीमाएं लगाकर देश की संप्रभुता, अखंडता, सुरक्षा, पड़ोसी देशों से मैत्री संबंध, जन व्यवस्था को बढ़ाया जाता है.
चैनल का प्रसारण कुछ दिन जारी रखने देने का निवेदन भी हाई कोर्ट ने नहीं माना और कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है, एक घंटे की भी छूट नहीं दी जा सकती.
बता दें कि 31 जनवरी को गृह मंत्रालय की ओर से चैनल लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए सुरक्षा मंजूरी नहीं देने का फैसला लिया गया था. लिहाजा गृह मंत्रालय के इस आदेश के खिलाफ ‘मध्यमम ब्रॉडकास्टिंग लिमिटेड’ ने केरल हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. ‘मध्यमम ब्रॉडकास्टिंग लिमिटेड’ ही ‘मीडिया वन’ चैनल का संचालन करता है.
न्यायमूर्ति एन. नागरेश की पीठ ने गृह मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत किए फाइलों का अध्ययन करने के बाद अपील को खारिज किया और कहा कि मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत रिपोर्टों के आधार पर चैनल को सुरक्षा मंजूरी देने से इनकार करना उचित है.
केंद्र ने सोमवार को सुनवाई के दौरान तर्क दिया था कि एक बार मिली सुरक्षा मंजूरी हमेशा के लिए जारी नहीं रह सकती. केंद्र सरकार ने पहले अदालत को बताया था कि गृह मंत्रालय ने खुफिया सूचनाओं के आधार पर राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चिंताओं के मद्देनजर ‘मीडिया वन’ को सुरक्षा मंजूरी देने से इनकार कर दिया था.
वहीं, चैनल ने कहा था कि गृह मंत्रालय की मंजूरी केवल नई अनुमति/लाइसेंस के समय जरूरी थी, नवीनीकरण के समय नहीं. चैनल ने कहा था कि ‘अपलिंकिंग’ और ‘डाउनलिंकिंग’ दिशानिर्देशों के अनुसार, सुरक्षा मंजूरी केवल नई अनुमति के लिए आवेदन करते समय जरूरी थी, न कि लाइसेंस के नवीनीकरण के समय.
केंद्रीय गृह मंत्रालय की संस्तुति के बाद सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने चैनल को बंद करने का आदेश दिया था. हाई कोर्ट ने कहा कि गृह मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए तथ्यों के आधार पर चैनल के नवीनीकरण को इनकार किए जाने का पर्याप्त आधार है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मामले में ‘मीडिया वन’ के संपादक, कर्मचारियों और केरल वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ने भी याचिका दायर कर कहा था कि अगर प्रसारण रोका गया तो चैनल के सैकड़ों कर्मचारियों का रोजगार छिन जाएगा. चैनल पर किसी कानून, नियम या अनुमति के उल्लंघन का आरोप नहीं है, इसलिए केंद्र की कार्रवाई गैर-कानूनी व असंवैधानिक है. हाई कोर्ट इससे सहमत नहीं हुई और याचिका खारिज कर दी.
असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एस मनु ने कहा कि स्टाफ की याचिका सुने जाने योग्य नहीं है क्योंकि यह मामला केंद्र सरकार व कंपनी के बीच है.
यह पहला मौका नहीं है, जब चैनल को अपने संचालन पर इस तरह की रोक का सामना करना पड़ा हो. ‘मीडिया वन’ और एक अन्य मलयालम न्यूज चैनल ‘एशियानेट’ को 2020 में दिल्ली में कथित साम्प्रदायिक हिंसा की उनकी ‘कवरेज’ को लेकर 48 घंटे के लिए निलंबित कर दिया गया था. तब केंद्र सरकार के आदेश में कहा गया था, दिल्ली हिंसा पर चैनल की रिपोर्टिंग सीएए समर्थकों की तोड़फोड़ पर केंद्रित होने की वजह से पक्षपातपूर्ण लगती है और एक समुदाय का पक्ष ज्यादा दिखाया जा रहा है.
बता दें कि केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 31 जनवरी को ‘सुरक्षा कारणों’ का हवाला देते हुए मलयालम समाचार चैनल मीडिया वन (Media One) के प्रसारण पर रोक लगा दी थी.
(इनपुट) समाचार4मीडिया