पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने हिजाब पर प्रतिबंध को बरकरार रखने के कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को बेहद निराशाजनक बताते हुए मंगलवार को कहा कि यह केवल धर्म की बात नहीं है, बल्कि चयन की स्वतंत्रता की भी बात है.
उन्होंने कहा कि हिजाब पर जो फैसला कोर्ट ने कायम रखा है वो बहुत ही निराश करने वाला फैसला है. एक लड़की और एक महिला को ये भी अधिकार नहीं है कि वो क्या पहने और क्या नहीं पहने.
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि ‘मैं समझती हूं कि एक तरफ तो हम बहुत बड़े दावे करते हैं, औरतों के अधिकारों की कि उनको सशक्त बनाना है और दूसरी तरफ हम उनको ये भी हक नहीं देते हैं कि वो क्या पहने और क्या नहीं और अगर वो अपनी मर्जी के मुताबिक कपड़े पहनती हैं तो उन्हें परेशान किया जाता है.’
PDP अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि ‘सड़कों पर किस तरह से मवाली उनके पीछे पड़ जाते हैं और वहां की सरकारें तमाशबीन बन जाती हैं. मैं समझती हूं कि ये बहुत गलत है. हर इंसान, औरत और बच्ची को हक होना चाहिए कि वो क्या कपड़े पहने और क्या नहीं. इसका फैसला अदालतों के पास नहीं होना चाहिए.’
वहीं जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा ‘मैं कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले से बहुत निराश हूं. यह किसी चीज के बारे में नहीं है, यह एक महिला के चयन के अधिकार के बारे में है कि वह क्या पहनना चाहती है.’
वहीं दूसरी तरफ AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हम कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हैं. यह संविधान के अनुच्छेद 15 की अवहेलना करता है. हाई कोर्ट ने कहा है कि हिजाब आवश्यक धार्मिक अभ्यास नहीं है लेकिन इसका निर्णय कौन करेगा? इस फैसले के ख़िलाफ़ हम इसलिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.’
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि इस फैसले से नकारात्मक असर होगा और जगह-जगह मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाया जाएगा. संविधान में विवेक की स्वतंत्रता के तहत हमें इज़ाजत है कि अपना हिजाब भी पहनू और शिक्षा भी हासिल करूं.’