नोबेल शांति पुरस्‍कार की दौड़ में मोहम्‍मद जुबैर और प्रतीक सिन्‍हा, फैक्‍ट चेकिंग की हो रही तारीफ

ओस्‍लो: दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्‍कार का शुक्रवार को नार्वे की राजधानी ओस्‍लो में ऐलान किया जाएगा। रायटर्स के सर्वेक्षण के मुताबिक, इस साल जिन लोगों के नाम सबसे ऊपर चल रहे हैं, उनमें भारत की फैक्‍ट चेकिंग वेबसाइट अल्‍ट न्‍यूज के संस्‍थापक प्रतीक सिन्‍हा और मोहम्‍मद जुबैर भी शामिल हैं। नोबेल शांति पुरस्‍कार के विजेता का चयन नार्वे के नोबल समिति के 5 सदस्‍यों की ओर से किया जाएगा। इन सभी पांचों सदस्‍यों की नियुक्ति नार्वे की संसद ने की है। भारत के प्रतीक सिन्‍हा और मोहम्‍मद जुबैर के अलावा विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन, म्‍यांमार की राष्‍ट्रीय एकता सरकार, बेलारूस की विपक्षी नेता सवितलाना भी शामिल हैं।

नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी पत्रिका टाइम ने प्रतीक सिन्‍हा और मोहम्‍मद जुबैर के बारे में लिखा है, ‘पत्रकार प्रतीक सिन्‍हा और मोहम्‍मद जुबैर फैक्‍ट चेकिंग वेबसाइट अल्‍ट न्‍यूज के संस्‍थापक हैं। ये दोनों ही भारत में फर्जी सूचनाओं का खुलासा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सिन्‍हा और जुबैर सुव्‍यवस्थित तरीके से सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाहों और फेक न्‍यूज पर विराम लगा रहे हैं।’ जुबैर को एक विवादित ट्वीट करने के आरोप में जून महीने में अरेस्‍ट किया गया था। हालांकि बाद में उन्‍हें कोर्ट से जमानत मिल गई।

मदर टेरेसा और कैलाश सत्‍यार्थी को भी मिला है नोबेल शांति पुरस्‍कार
नोबेल शांति पुरस्‍कार की स्‍थापना साल 1895 में स्‍वीडन के केमिस्‍ट अल्‍फ्रेड नोबेल ने किया था। अल्‍फ्रेड नोबेल ने ही डायनामाइट की खोज की थी। दुनिया में नोबेल शांति पुरस्‍कार को सबसे प्रतिष्ठित सम्‍मान माना जाता है। इस पुरस्‍कार को उस व्‍यक्ति को दिया जाता है जिसने ‘मानवता के लिए सबसे हितकारी काम किया है।’ पर्यावरण के लिए काम करने वाले चर्चित कार्यकर्ता ग्रेटा थर्नबर्ग भी इस पुरस्‍कार के प्रबल दावेदारों में शामिल हैं। भारत में नोबेल शांति पुरस्‍कार विजेता लोगों में मिशनरीज ऑफ चैर‍टीज की मदर टेरेसा और कैलाश सत्‍यार्थी शामिल हैं।

क्वांटम विज्ञान के रहस्यों को सुलझाने वाले वैज्ञानिकों को नोबेल
इस बीच मंगलवार को फ्रांस में जन्मे एलेन एस्पेक्ट, अमेरिकी जॉन क्लॉजर और ऑस्ट्रियाई वैज्ञानिक एंटन जिलिंगर को भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनमें से प्रत्येक ने उलझी हुई क्वांटम अवस्थाओं का उपयोग करते हुए अभूतपूर्व प्रयोग किए, जहां दो कण अलग होने पर भी एक इकाई की तरह व्यवहार करते हैं। उनके परिणामों ने क्वांटम सूचना पर आधारित नई तकनीक का रास्ता साफ कर दिया है। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने एक बयान में कहा, ‘क्वांटम यांत्रिकी के अप्रभावी प्रभाव अनुप्रयोगों को खोजने लगे हैं। अब अनुसंधान का एक बड़ा क्षेत्र है जिसमें क्वांटम कंप्यूटर, क्वांटम नेटवर्क और सुरक्षित क्वांटम एन्क्रप्टिेड संचार शामिल हैं।’

इस विकास का एक प्रमुख कारक यह है कि कैसे क्वांटम यांत्रिकी दो या दो से अधिक कणों को एक उलझी हुई अवस्था में मौजूद रहने की अनुमति देता है। उलझे हुए जोड़े में से एक कण का क्या होता है यह निर्धारित करता है कि दूसरे कण का क्या होगा, भले ही वे बहुत दूर हों। लंबे समय तक, यह सवाल था कि क्या सह संबंध इसलिए था क्योंकि एक उलझे हुए जोड़े में कणों में छिपे हुए वेरिएबल्स होते थे, निर्देश जो उन्हें बताते हैं कि उन्हें प्रयोग में कौन सा परिणाम देना चाहिए। 1960 के दशक में, जॉन स्टीवर्ट बेल ने उनके नाम पर गणितीय असमानता विकसित की। यह बताता है कि यदि छिपे हुए वेरिएबल्स हैं, तो बड़ी संख्या में माप के परिणामों के बीच का संबंध कभी भी एक निश्चित मूल्य से अधिक नहीं होगा।

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