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मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट केस 2006: बॉम्बे हाईकोर्ट ने 18 साल बाद सभी 12 मुस्लिम आरोपियों को किया बरी.. फांसी की सजा रद्द

बॉम्बे हाई कोर्ट ने आज यानी कि सोमवार, 21 जुलाई को मुंबई लोकल ट्रेन सीरियल ब्लास्ट मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी करते हुए तत्काल रिहा करने का आदेश दिया.

Mumbai Serial Local Train Blasts 2006: बॉम्बे हाईकोर्ट ने साल 2006 में हुए मुंबई लोकल ट्रेन सीरियल ब्लास्ट मामले में लगभग 18 साल बाद सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया. विशेष टाडा न्यायालय ने सभी आरोपियों को दोषी ठहराया था. पांच आरोपियों को मौत की सजा और सात को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी.

आरेपियों को तत्काल रिहा करने का आदेश

बॉम्बे हाई कोर्ट ने आज यानी कि सोमवार, 21 जुलाई को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी करते हुए तत्काल रिहा करने का आदेश दिया. हाईकोर्ट ने न सिर्फ दोषियों की अपील को मंजूर किया, बल्कि राज्य सरकार द्वारा मृत्युदंड की पुष्टि के लिए दाखिल याचिका को भी खारिज कर दिया. बता दें कि इस मामले की सुनवाई जनवरी 2025 में पूरी हुई थी. इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

‘सबूत में कोई ठोस तथ्य नहीं’

जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस एस. चांडक की बेंच ने इस केस के फैसले के दौरान कहा कि जो भी सबूत पेश किए गए थे, उनमें कोई ठोस तथ्य नहीं था और इसी आधार पर सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया गया है.

निचली अदालत द्वारा मौत की सजा सुनाए गए आरोपी

  • कमाल अंसारी
  • मोहम्मद फैसल अताउर रहमान शेख
  • एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी
  • नवीद हुसैन खान
  • आसिफ खान

इन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी

  • तनवीर अहमद मोहम्मद इब्राहिम अंसारी
  • मोहम्मद मजीद मोहम्मद शफी
  • शेख मोहम्मद अली आलम शेख
  • मोहम्मद साजिद मरगूब अंसारी
  • मुजम्मिल अताउर रहमान शेख
  • सुहैल महमूद शेख

इसके अलावा एक अन्य आरोपी वाहिद शेख को इस मामले में नौ साल जेल में बिताने के बाद विशेष अदालत ने पहले ही बरी कर दिया था.

2006 में हुआ था ब्लास्ट

11 जुलाई 2006 को मुंबई वेस्टर्न रेलवे की सात लोकल ट्रेनों में मात्र 11 मिनट के अंदर पर बम बलास्ट हुए थे. इसमें सीरियल बम बलास्ट में 189 लोगों की जान चली गई थी, जबकि 827 से अधिक यात्री घायल हुए थे. विस्फोट माटुंगा, माहिम, बांद्रा, खार, जोगेश्वरी, भोईंदर और मिरा रोड में हुए थे.

इस घटना के बाद महाराष्ट्र एटीएस ने कुल 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जबकि 15 अन्य को फरार घोषित किया गया था. इसके बाद जांच एजेंसी ने महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया था.

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